Rahul Gandhi in US : हाल ही में सोशल मीडिया पर एक बड़ी खबर सामने आ रही है जिसमे आपको बतादें कि 6 दिन के अमेरिका दौरे पर गए कांग्रेस नेता Rahul गांधी ने मंगलवार को सैन फ्रैंसिस्को में भारतीयों के बीच स्पीच दी। 40 मिनट की स्पीच में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर उन्होंने बयान दिया कि वो भगवान को भी दुनिया चलाना सिखा देंगे, भगवान भी चौंक जाएंगे कि ये मैंने क्या बना दिया।
आपको बताते चले कि राहुल मंगलवार शाम को अमेरिका पहुंचे। सैन फ्रैंसिस्को एयरपोर्ट पर राहुल का स्वागत इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा और IOC के अन्य सदस्यों ने किया। वहीँ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राहुल को इमिग्रेशन क्लियरेंस के लिए एयरपोर्ट पर 2 घंटे तक इंतजार करना पड़ा।
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हालंकि इस दौरान जब लोगों ने उनसे पूछा कि वह लाइन में क्यों खड़े हैं तो उन्होंने कहा कि मैं अब आम आदमी हूं, मैं अब सांसद नहीं हूं इस पर कांग्रेस की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
भारत जोड़ो यात्रा को लेकर क्या बोले Rahul
इतना ही नहीं भारत जोड़ो यात्रा को लेकर Rahul गांधी ने कहा कि मैंने कन्याकुमारी से कश्मीर तक पैदल मार्च शुरू किया। यात्रा के दौरान हम जान रहे थे कि राजनीति में किन चीजों का इस्तेमाल होता है। इस तरह की बातचीत और पब्लिक मीटिंग काम नहीं आ रही थीं। सभी चीजें, जिनकी हमें राजनीति में जरूरत थी, उन्हें भाजपा और संघ ने कंट्रोल कर रखा था। लोगों को डराया जा रहा था, एजेंसी का इस्तेमाल किया जा रहा था। हमें राजनीति करने में मुश्किल आ रही थी। ऐसे में हमने श्रीनगर तक यात्रा का फैसला किया।
पुरानी घुटने की चोट
उन्होंने कहा कि जब हमने शुरुआत की, मुझे लगा कि देखेंगे क्या होता है। 5-6 दिन बाद लगा कि 4000 किमी की यात्रा आसान नहीं है। पुरानी घुटने की चोट भी उभर आई। मुझे चलने में बहुत दर्द होने लगा। अचानक कुछ बहुत चौंकाने वाला हुआ। मुझे अहसास हुआ कि 25 किमी यात्रा के बाद मुझे थकान नहीं महसूस होती थी। 6 बजे सुबह हम उठते थे और शाम 7-8 तक चलते थे और मुझे कोई थकान नहीं होती थी।
नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान (Rahul)
राहुल ने आगे बोलते हुए कहा कि भारत जोड़ो के दौरान मुझे अहसास हुआ कि देश में क्या चल रहा है। मैं नहीं चल रहा था, भारत मेरे साथ चल रहा था। सभी धर्मों और समुदायों के लोग आ रहे थे, बच्चे आ रहे थे। ऐसा प्यार का महौल बन रहा था कि किसी को थकान नहीं हो रही थी। सब एक-दूसरे की मदद कर रहे थे। इसके बाद हमें आइडिया आया कि ‘नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान’ खोली जाए।