होम्योपैथी या एलोपैथी:- कौन है ज्यादा बेहतर रिसर्च में सामने आई चौंकाने वाली बात।जानिये डॉ अमोल गुप्ता से
Homeopathic vs allopathic: होम्योपैथिक दवा ज्यादा अच्छी है या एलोपैथिक. अगर आप कंफ्यूज हैं।तो यहां जान लीजिए रिसर्च में क्या कहा गया है।
Homeopathic vs allopathic: होम्योपैथी और एलोपैथी दोनों बीमारियों को ठीक करने की चिकित्सकीय पद्धति है।हालांकि दोनों के इलाज करने के तरीके में भारी अंतर है।एलौपेथ की दवाइयों में कंपाउड को ठोस,द्रव्य और गैस तीनों अवस्थाओं में इस्तेमाल किया जाता है।जबकि होम्योपैथिक दवाओं को आमतौर पर पतला बनाया जाता है।ताकि इसका साइड इफेक्ट्स न के बराबर हो।
ऐसे में अक्सर इस बात को लेकर कंफ्यूजन रहती है।कि कौन सी चिकित्सकीय पद्धति बेहतर होती है।जो लोग होम्योपैथ से इलाज कराते हैं।उन्हें होम्योपैथ अच्छा लगता है। लेकिन ज्यादातर लोग होम्योपैथ से इलाज नहीं कराते. पर अब एक रिसर्च में यह चौंकाने वाली बात सामने आई है कि सामान्य बीमारियों में 2 साल से कम उम्र के बच्चों पर होम्योपैथिक का असर एलोपैथ से कहीं ज्यादा होता है।
2 साल से कम उम्र के बच्चे पर अध्ययन:-
टीओआई की खबर में कहा गया है।कि यूरोपियन जर्नल ऑफ पेडिएट्रिक्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक 2 साल से कम उम्र के बच्चों पर सामान्य बीमारियों में होम्योपैथिक दवाइयां एलोपैथ की तुलना में सुपीरियर है. यह अध्ययन तेलंगाना के जीयर इंटीग्रेटेड मेडिकल सर्विसेज (JIMS) और सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी (CCRH) के शोधकर्ताओं ने किया है। इस अध्ययन में 24 महीनों से कम उम्र के 108 बच्चों को शामिल किया गया था।
इन बच्चों का नियमित रूप से सामान्य परेशानियों जैसे कि बुखार,डायरिया, सांसों से संबंधित दिक्कतें आदि के लिए या तो होम्योपैथी के माध्यम से इलाज कराया जाता था या एलोपैथी के माध्यम से हालांकि होम्योपैथिक माध्यम से इलाज करा रहे बच्चे को जब आवश्यकता पड़ी तो उसके माता-पिता ने अन्य परंपरागत माध्यमों का भी सहारा लिया। इसके बावजूद शोधकर्ताओं ने अध्ययन में पाया कि जिन बच्चों का इलाज होम्योपैथिक माध्यम से कराया गया।वे एलोपैथ के माध्यम से इलाज कराने वालों की तुलना में कम बीमार पड़े।
स्टडी में कहा गया कि होम्योपैथ माध्यम से इलाज कराने वाले 24 महीने से कम उम्र के बच्चे औसतन 5 दिन बीमार पड़े जबकि पारंपरिक रूप से इलाज कराने वाले समूह के बच्चे औसतन 21 दिन बीमार रहे।
एंटीबायोटिक की जरूरत भी कम:-
अध्ययन में बताया गया कि जिन बच्चों का इलाज में होम्योपैथिक चिकित्सा को पहली प्राथमिकता दी गई उन्हें सांस संबंधी दिक्कतें कम हुई और इलाज के बाद भी उन्हें कम आना पड़ा।हालांकि दस्त जैसी बीमारियों में दोनों माध्यम से इलाज कराने वाले बच्चों कोई खास अंतर नहीं पाया गया.इस अध्ययन में दवाओं के साइड इफेक्ट्स और बीमारियों के कारण होने वाली मौतों को शामिल नहीं किया गया था।
अध्ययन में सिर्फ यह देखा गया था।कि जो बच्चे होम्योपैथ से इलाज करा रहे हैं। और अन्य माध्यमों से इलाज करा रहे है।उनमें सही होने की संभावना कितनी बेहतर है।अध्ययन में यह भी पाया गया कि होम्योपैथिक विधि से इलाज कराने वाले बच्चों में एंटीबायोटिक की जरूरत सिर्फ 14 बार पड़ी लेकिन अन्य माध्यमों से इलाज करा रहे बच्चों में इसकी जरूरत 141 बार पड़ी।इसका मतलब यह हुआ कि जिन बच्चे का होम्योपैथिक माध्यम से इलाज कराया गया उनमें इम्यूनिटी ज्यादा बूस्ट हुई।
यह जानकारी समर इंडिया न्यूज के साथ नगर के जाने माने होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ.अमोल गुप्ता ने साझा की।
आपकी चिकित्सा से नगर में हजारों बच्चे लाभान्वित हो चुके हैं व आज भी निरन्तर हो रहे हैं।
डॉ.अमोल गुप्ता पिछले कई वर्षों से होम्योपैथी क्षेत्र में अपनी उत्कृष्ट चिकित्सा सेवाओं के लिए जाने जाते हैं।
रिपोर्ट-जयकिशन सैनी
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- He has 18 years of experience in journalism. Currently he is the Editor in Chief of Samar India Media Group. He lives in Amroha, Uttar Pradesh. For contact samarindia22@gmail.com
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