Chief Election Commissioner ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति संबंधी कानून की वैधता पर बुधवार को सुनवाई

नयी दिल्ली: केंद्र सरकार ने Chief Election Commissioner और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति संबंधी वर्ष 2023 के जिस नए कानून पर भरोसा जताते हुए श्री ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया है, उसकी वैधता को चुनौती देने वाली विचारधाराधीन याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय बुधवार को प्राथमिकता से सुनवाई कर सकता है। न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ के समक्ष मंगलवार को गुहार लगाते हुए एनजीओ-एडीआर की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सुनवाई करने करने के लिए दलीलें दीं। उन्होंने दलील दी ,“ याचिका पर बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय में विचार किया जाना चाहिए, क्योंकि यह हमारे लोकतंत्र के भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।”

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Chief Election Commissioner मामले को आइटम नंबर 41 के रूप में सूचीबद्ध किया गया

उन्होंने Chief Election Commissioner  और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति संबंधी कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सर्वोच्च प्राथमिकता से विचार करने का आग्रह किया। उन्होंने दलील देते हुए आरोप लगाया कि केंद्र सरकार कथित रूप से अनूप बरनवाल मामले में संविधान पीठ के फैसले का मजाक उड़ा रही है। उन्होंने कहा,“ नए अधिनियम 2023 को हमने और कई अन्य लोगों ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी है और यह विचाराधीन है।” केंद्र सरकार ने नए 2023 अधिनियम पर भरोसा करते हुए सोमवार 17 फरवरी 2025 को ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया। हालांकि, पीठ ने अधिवक्ता भूषण से बुधवार को मामले का उल्लेख करने को कहा। इसने यह भी बताया कि न्यायालय ने पहले 2023 कानून के क्रियान्वयन पर रोक लगाने की याचिका को अस्वीकार कर दिया था। इस पर श्री भूषण ने कहा कि मामले को आइटम नंबर 41 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, इसलिए इसे तब सुनवाई के लिए नहीं लिया जा सकता है।

Chief Election Commissioner और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए नए कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि 2023 के इस कानून ने शीर्ष न्यायालय के पिछले फैसले को प्रभावी रूप से कमजोर कर दिया है, जिसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) से मिलकर एक स्वतंत्र चयन पैनल का गठन अनिवार्य किया गया था। इसके बजाय, नए कानून ने सीजेआई की जगह एक केंद्रीय मंत्री को नियुक्त किया, जिससे चुनाव आयोग पर कार्यकारी प्रभुत्व के बारे में चिंताएँ पैदा हुईं। केंद्र ने Chief Election Commissioner और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और पदावधि) अधिनियम, 2023 को दिसंबर 2023 में अधिनियमित किया। नए कानून ने सीईसी और ईसी के चयन के उद्देश्य से गठित किए जाने वाले पैनल में भारत के मुख्य न्यायाधीश की जगह एक मंत्री को नियुक्त किया है। अनूप बरनवाल बनाम भारत संघ (मार्च 2023 में) मामले में संविधान पीठ के फैसले में कहा गया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश की सदस्यता वाले पैनल की सलाह पर की जाएगी, जब तक कि इस संबंध में कानून नहीं बन जाता। इससे पहले 21 मार्च 2024 को अदालत ने Chief Election Commissioner और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए नए कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और कहा था कि जिस तरह से सरकार नियुक्तियों में तेजी ला रही है, वह “अनावश्यक और टालने योग्य” है, लेकिन वह कानून पर रोक नहीं लगा सकती क्योंकि इससे केवल अराजकता और अनिश्चितता ही पैदा होगी।

 

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