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crime:19 साल बाद मिला इंसाफ: एआई ने खोले रंजिनी और जुड़वां बच्चों के कत्ल का राज

On: January 9, 2025 7:57 PM
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crime:19 साल बाद मिला इंसाफ: एआई ने खोले रंजिनी और जुड़वां बच्चों के कत्ल का राज
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crime 2006 में केरल में रंजिनी और उसके जुड़वा बच्चों की हत्या ने पूरे देश को हिला दिया था। 19 साल बाद, केरल पुलिस ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से दोनों कातिलों, दिविल कुमार और उसके दोस्त राजेश को पकड़ा। यह मामला प्यार, विश्वासघात और क्रूर हत्या का दिल दहलाने वाला उदाहरण है।

10 फरवरी 2006… वो तारीख, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। दोपहर के 11-12 बजे का वक्त रहा होगा और जगह थी केरल के कोल्लम जिले का आंचल गांव। यहां एक घर के अंदर महिला और उसके महज 17 दिन के जुड़वां बच्चों का बेरहमी के साथ कत्ल कर दिया जाता है।

crime बच्चों के गले चाकू से काटे गए थे। छानबीन होती है,

तो दो सैनिकों के नाम सामने आते हैं। पुलिस इनकी तलाश में पंजाब के पठानकोट में आर्मी कैंप पहुंचती है, लेकिन उससे पहले ही दोनों फरार हो जाते हैं।

कुछ साल बाद केस को सीबीआई के हवाले कर दिया जाता है। धीरे-धीरे मामले को 19 साल का लंबा वक्त बीत जाता है और एक दिन आखिरकार दोनों कातिल पकड़े जाते हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, केरल पुलिस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल कर इन दोनों कातिलों तक पहुंची थी। इसके बाद पूरे मामले की कहानी खुलती है, एक ऐसी कहानी, जिसमें प्यार और भरोसे का कत्ल किया गया था।

 

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इस कहानी की शुरुआत होती है, केरल में कोल्लम जिले के अलायमोन गांव से, जहां रंजिनी और दिविल कुमार नाम के शख्स के बीच प्रेम संबंध थे। दिविल भारतीय सेना में था। कुछ वक्त बाद रंजिनी गर्भवती हुई और ये बात जब उसने दिविल को बताई, तो वह अबॉर्शन कराने के लिए कहने लगा। रंजिनी इस बच्चे को रखना चाहती थी और इसी बात को लेकर दोनों का रिश्ता टूट गया।

कुछ समय बाद दिविल पंजाब के पठानकोट में आर्मी कैंप चला गया। इधर, जनवरी 2006 के आखिर में रंजिनी ने तिरुवनंतपुरम के एक अस्पताल में जुड़वां बेटियों को जन्म दिया। इसी दौरान अस्पताल में रंजिनी की मां सांथम्मा से एक अजनबी शख्स आकर मिला,

जिसने अपना नाम अनिल कुमार बताया। उसने कहा कि अगर सिजेरियल डिलीवरी के वक्त ब्लड की जरूरत पड़ती है, तो वह मदद करेगा।

रंजिनी को ब्लड की जरूरत नहीं पड़ी, लेकिन अनिल हॉस्पिटल में उसके आसपास ही टहलता रहा और धीरे-धीरे उससे दोस्ती कर ली। रंजिनी को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद अनिल ने उसे आंचल गांव में किराए का एक कमरा दिला दिया। उसने कहा कि अजनबी जगह रहोगी तो किसी की बातें सुनने को नहीं मिलेंगी, वरना पास-पड़ोस के लोग बिना शादी के मां बनने पर सवाल खड़े करेंगे।

रंजिनी मान गई और किराए के इस घर में अपने बच्चों और मां के साथ रहने लगी। इसी दौरान रंजिनी ने राज्य महिला आयोग में शिकायत की और दिविल का डीएनए टेस्ट कराने की मांग उठाई। उसने कहा कि दोनों जुड़वां बच्चियां दिविल की हैं और डीएनए टेस्ट से यह साबित हो जाएगा। राज्य महिला आयोग ने दिविल का डीएनए टेस्ट कराए जाने का आदेश दे दिया।

हालांकि, इस आदेश पर अमल हो पाता, उससे पहले ही 10 फरवरी 2006 को दिविल अचानक रंजिनी के घर पहुंचा। उसने रंजिनी की मां सांथम्मा से कहा कि बच्चों के जन्म के कुछ कागजात पंचायत ऑफिस में जमा करने हैं और इसके लिए उन्हें जाना होगा। रंजिनी की मां मान गईं और पंचायत ऑफिस के लिए निकल गईं।

लेकिन, वापस आकर जब उन्होंने घर का दरवाजा खोला तो उनकी आंखें फटी की फटी रह गईं। अंदर खून से लथपथ रंजिनी और उसके दोनों बच्चों की लाश पड़ी थी। तुरंत मामले की खबर पुलिस को दी गई। पुलिस ने छानबीन की तो मौका-ए-वारदात से एक टू्-व्हीलर का सुराग मिला, जो किसी राजेश के नाम पर रजिस्टर्ड था।

 

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तफ्तीश हुई तो एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ। दरअसल, ये राजेश कोई और नहीं, बल्कि वही अनिल कुमार था, जो हॉस्पिटल में दोस्ती कर रंजिनी की जिंदगी में दाखिल हुआ था। राजेश और दिविल, दोनों सेना में थे और इनके बीच गहरी दोस्ती थी।

राजेश को दिविल ने ही रंजिनी से जान-पहचान करने के लिए भेजा था। जिस दिन रंजिनी की मां पंचायत ऑफिस गई, उसी दिन राजेश ने उसका और उसकी दोनों बच्चियों का कत्ल कर दिया।

crime इन दोनों का सुराग तलाशते हुए पुलिस पठानकोट पहुंची,

लेकिन तब तक दोनों फरार हो चुके थे। पुलिस इन्हें तलाशती रही, लेकिन 19 साल तक इनके बारे में कोई सुराग नहीं मिला। 2010 में इस केस को सीबीआई को सौंप दिया गया, लेकिन काफी खोजबीन के बावजूद सीबीआई के हाथ भी खाली ही रहे। केस ठंडे बस्ते में चला गया और लगने लगा कि रंजिनी को अब कभी इंसाफ नहीं मिलेगा।

इसी बीच केरल पुलिस ने इन दोनों शातिर हत्यारों की तलाश के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद ली। केरल के एडीजीपी (लॉ एंड ऑर्डर) मनोज अब्राहम के मुताबिक, पुलिस विभाग में एक टेक्निकल इंटेलिजेंस विंग है, जो पुराने लंबित मामलों को डिजिटल तरीके से सुलझाने की कोशिश करती है। इस केस में भी यही किया गया।

crime पुलिस टीम ने दोनों हत्यारों को ट्रैक करने के लिए, एआई के जरिए इनकी पुरानी तस्वीरों को डेवलप किया। ताकि, यह देखा जा सके कि 19 साल बाद वे कैसे दिखेंगे। एआई का इस्तेमाल करके कई विकल्पों, हेयर स्टाइल में बदलाव से लेकर चेहरे की दूसरी चीजों तक, को आजमाया गया।

crime इन तस्वीरों का मिलान सोशल मीडिया पर मौजूद तस्वीरों से किया गया।

इस कोशिश में मेल खाती हुई, दुनिया भर से बहुत सारी तस्वीरें मिलीं। लेकिन, एक आरोपी की एआई फोटो का फेसबुक पर शेयर की गई एक शादी की तस्वीर से 90 फीसदी मिलान हो गया। पुलिस ने छानबीन की तो पता चला कि राजेश नाम और पहचान बदलकर पुडुचेरी में रह रहा है।

मामले की जानकारी सीबीआई को दी गई और 4 जनवरी 2025 को राजेश को गिरफ्तार कर लिया गया। उसकी निशानदेही पर दिविल भी पकड़ा गया।

पुडुचेरी में दोनों नाम बदलकर रह रहे थे। दिविल कुमार ने अपना नाम विष्णु रख लिया था, जबकि उसका दोस्त राजेश यहां प्रवीण कुमार बनकर रह रहा था। दोनों इंटीरियर डिजाइन का काम करते थे और दो शिक्षिकाओं से शादी भी कर चुके थे। मामले में एक लंबा वक्त लगा, लेकिन आखिरकार रंजिनी और उसके बच्चों के कातिल सलाखों के पीछे पहुंच गए।

Aman Kumar Siddhu

He has 19 years of experience in journalism. Currently he is the Editor in Chief of Samar India Media Group. He lives in Amroha, Uttar Pradesh. For contact samarindia22@gmail.com

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