Election Commissioner:निर्वाचन आयोग में निर्वाचन आयुक्तों की दो रिक्तियों को भरने के लिए बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक में पूर्व नौकरशाहों ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधु के नामों को अंतिम रूप दिया गया। समिति के सदस्य व लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में यह दावा किया।
Table of Contents
Whatsapp Group join |
Please Join Whatsapp Channel |
Please Join Telegram channel |
Election Commissioner अधीर रंजन चौधरी ने कहा चयन समिति ने छह नाम प्रस्तुत किए थे।
इनमें उत्पल कुमार सिंह प्रदीप कुमार त्रिपाठी ज्ञानेश कुमार इंदीवर पांडे सुखबीर सिंह संधु और गंगाधर राहत के नाम शामिल थे। ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधु का चयन निर्वाचन आयुक्त के रूप में किया गया है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने दो नामों को अंतिम रूप देने के लिए बृहस्पतिवार को बैठक की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और चौधरी भी समिति की बैठक में मौजूद थे।
चौधरी ने कहा कि भारत के प्रधान न्यायाधीश सीजेआई को Election Commissioner की चयन समिति का हिस्सा होना चाहिए था।
चयन समिति की सिफारिश के आधार पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू निर्वाचन आयोग के दो सदस्यों की नियुक्ति करेंगी। एक बार नियुक्तियां अधिसूचित हो जाने के बाद नए कानून के तहत की जाने वाली ये पहली नियुक्तियां होंगी। इससे पहले केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की अध्यक्षता में गठित सर्च कमेटी ने इन रिक्तियों को भरने के लिए बुधवार को छह उम्मीदवारों की एक सूची तैयार की थी। कानून तीन.सदस्यीय चयन समिति को ऐसे व्यक्ति को नियुक्त करने की शक्ति भी देता है जिसे चयन समिति ने शॉर्टलिस्ट नहीं किया है।
Election Commissionerगोयल का इस्तीफा नौ मार्च को अधिसूचित किया गया था।
अनूप चंद्र पांडे की 14 फरवरी को सेवानिवृत्ति और आठ मार्च को अरुण गोयल के अचानक इस्तीफे से दोनों रिक्तियां पैदा हुईं। गोयल का इस्तीफा नौ मार्च को अधिसूचित किया गया था। रिक्तियों के कारण निर्वाचन आयोग में अभी केवल मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार हैं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति पर नया कानून हाल में लागू होने से पहलेए निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती थी और परंपरा के अनुसार सबसे वरिष्ठ को मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में नियुक्त किया जाता था।