विश्व कल्याण के लिए शक्ति आवश्यक, भारत का कर्तव्य धर्म सिखाना – Mohan Bhagwat

Author name

May 18, 2025

जयपुर,। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. Mohan Bhagwat ने शनिवार को कहा कि दुनिया तभी आपकी बात सुनती है, जब आपके पास शक्ति हो। उन्होंने देश को विश्व का सबसे प्राचीन देश बताते हुए कहा कि भारत की भूमिका बड़े भाई की तरह है, जो विश्व में शांति और सौहार्द स्थापित करने के लिए कार्य कर रहा है।

हिंदू समाज देश का जिम्मेदार समाज, इसमें एकता जरूरी: Mohan Bhagwat

Mohan Bhagwat जयपुर के हरमाडा स्थित रविनाथ आश्रम में संत रविनाथ महाराज की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।

Mohan Bhagwat ने संत तुकाराम के कथन का उल्लेख करते हुए कहा कि हम बैकुंठ के वासी हैं और इस धरती पर इसलिए आए हैं ताकि संत-महात्माओं के उपदेशों को व्यवहार में लाकर दिखाएं। आज के समय में यह व्यवहार करना हमारी जिम्मेदारी है। समाज को समरस और शक्ति संपन्न जीवन जीने की आवश्यकता है, क्योंकि कमजोर कुछ नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि समाज शक्ति की पूजा करता है, इसलिए साधना के साथ शक्तिशाली जीवन जीना जरूरी है।

कार्यक्रम में विनम्रता दिखाते हुए Mohan Bhagwat  ने कहा कि वे न तो सम्मान के अधिकारी हैं और न ही भाषण देने के। उन्होंने कहा कि आरएसएस की 100 साल पुरानी परंपरा में लाखों कार्यकर्ताओं का परिश्रम शामिल है। अगर यह परंपरा सम्मान योग्य है, तो यह उन कार्यकर्ताओं का सम्मान है। संतों की आज्ञा के कारण ही वे यह सम्मान ग्रहण कर रहे हैं।

इस दौरान भावनाथ महाराज ने डॉ. भागवत को सम्मानित किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

डॉ. भागवत ने देश की त्याग की परंपरा का उल्लेख करते हुए भगवान राम से लेकर भामाशाह तक के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि विश्व को धर्म सिखाना भारत का कर्तव्य है, लेकिन इसके लिए भी शक्ति की आवश्यकता है।

Mohan Bhagwat भगवान राम से लेकर भामाशाह तक के योगदान को याद किया

पाकिस्तान के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत किसी से द्वेष नहीं रखता, लेकिन दुनिया प्रेम और मंगल की भाषा तभी समझती है, जब आपके पास शक्ति हो। यह दुनिया का स्वभाव है, जिसे बदला नहीं जा सकता। इसलिए, विश्व कल्याण के लिए भारत को शक्ति संपन्न होना होगा। विश्व ने भारत की ताकत को देखा है और यह ताकत विश्व कल्याण के लिए है।

Author Profile

Manish Kumar

Leave a Comment