बिहार में एक बार फिर जहरीली शराब पीने से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 25 तक पहुंच गई है.

शराबबंदी वाले बिहार में एक बार फिर जहरीली शराब की वजह से कई घरों में मामत पसर गया है. छपरा और सिवान में जहरीली शराब पीने से मरने वाले लोगों …

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बिहार में एक बार फिर जहरीली शराब पीने से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 25 तक पहुंच गई है.

शराबबंदी वाले बिहार में एक बार फिर जहरीली शराब की वजह से कई घरों में मामत पसर गया है. छपरा और सिवान में जहरीली शराब पीने से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 25 तक पहुंच गई है.

वहीं, कुछ के आंखों की रोशनी चली गई है. सारण और सिवान जिले के इलाके में ये मौतें हुई हैं. यहां के हर पंचायत में मातम है. दरवाजे पर शव रखा है, बच्चों की चीत्कार और महिलाओं का रूदन है.

बिहार सिवान जिले के खैरा गांव में एक साथ 7 लोगों की मौत हुई है.

गांव के हर तीसरे घर में चीत्कार है. शव पर महिलाएं दहाड़ मार रही हैं तो बच्चे जार-जार रो रहे हैं. इस रूदन-क्रंदन के बीच शराबबंदी अब समाप्त कर दिये जाने की सियासी मांग होने लगी है.

बिहार में आठ साल से शराबबंदी है. लेकिन गांव-गांव में यह धड़ल्ले से मिलती है और हर महीने किसी न किसी जिले में जहरीली शराब कहर बरपाती है. स्थानीय प्रशासन मौतों का आंकड़ा छिपाने के लिए शव को चुपचाप जला देने की फिराक में लग जाती है और यहां भी वैसा ही प्रतीत हो रहा है.

बिहार में शराबबंदी की जमीनी सच्चाई क्या है, यह बताने के लिय वर्तमान स्थिति ही काफी है. आज एक साथ एक बार में 6 शव जलाए गए. जहरीली शराब पीने से इन सबकी मौत हो गई. इसी इलाके में 2022 में जहरीली शराब पीने से 72 लोगों की मौत हो गई थी. खूब हंगामा बरपा, खूब छापेमारी हुई, लेकिन सबकुछ जस का तस है.

बिहार इलाका भी वही है. शराब माफिया भी वही हैं. कुछ नहीं बदला है.

सिर्फ जहरीली शराब पीकर मरने वालों के नाम बदल गए हैं. कौडिया गांव में चार मौतें हुई हैं. गांव के एक घर के दरवाजे पर शव पड़ा है. बाहर पुरुष और अंदर महिलाएं चीत्कार रही हैं. सारण के मशरख और सिवान के लगभग 16 गांवों की यही कहानी है. हर पंचायत के किसी न किसी गांव में दो चार मौतें हुई हैं.

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मगहर, औरिया और इब्राहिमपुर क्षेत्रों के तीन चौकीदारों को निलंबित कर दिया है. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, स्थानीय पुलिस थाने के अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी. 5 पुलिस अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.

नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने 5 अप्रैल 2016 को शराब की बिक्री और सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि, इसके बाद खुद बिहार सरकार ने स्वीकार किया था कि अप्रैल 2016 में राज्य में शराबबंदी लागू होने के बाद अवैध शराब पीने से 150 से अधिक लोगों की जाना जा चुकी है.

बिहार जहरीली शराब से मौत के तांडव पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गया है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संबंधित अधिकारियों को इसमें संलिप्त लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. वहीं, विपक्षी दलों ने सरकार पर सवाल उठाए हैं. गांव के लोगों ने बताया कि मंगलवार की रात लोगों ने जहरीली शराब पी थी, जिसके बाद वे बीमार पड़ गए और फिर देखते ही देखते एक के बाद एक, लाशें मिलती चली गईं.

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव ने कहा, सरकार के संरक्षण में जहरीली शराब के कारण 27 लोगों की हत्या कर दी गयी है. दर्जनों की आंखों की रोशनी चली गयी. बिहार में कथित शराबबंदी है लेकिन सत्ताधारी नेताओं, पुलिस और माफिया के गठजोड़ के कारण हर चौक-चौराहों पर शराब उपलब्ध है.

उन्होंने कहा, अगर शराबबंदी के बावजूद हर चौक-चौराहे शराब उपलब्ध है तो क्या यह गृह विभाग और मुख्यमंत्री की विफलता नहीं है? क्या मुख्यमंत्री जी होशमंद है? क्या मुख्यमंत्री ऐसी घटनाओं पर कार्रवाई करने और सोचने में सक्षम तथा समर्थ है? इन हत्याओं का दोषी कौन?

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