RBSK की मदद से सुनने-बोलने लगी आरफा
मरौरी ब्लाक की यह बच्ची जन्म से मूक बधिर थी,RBSKयोजना के तहत हुआ बिना खर्च किए हुआ आपरेशन
इस योजना के तहत 18059 बच्चों को मिली नई जिंदगी
पीलीभीत, AJAY PAL SINGH
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) के तहत जन्मजात विकारों से पीड़ित 18 वर्ष तक के बच्चों का नि:शुल्क इलाज कराया जाता है। मरौरी ब्लाक की बच्ची आरफा को भी इसी योजना के तहत नया जीवन मिला है । आरफा अब बोल व सुन पा रही है। आरफा जैसे 18059 बच्चों का बीते एक साल में सफल आपेशन कर ठीक किया गया है।
ब्लॉक के न्यूरिया मोहल्ला यार खां निवासी मोहम्मद रफीक की पांच वर्षीय पुत्री आरफा जन्म से ही मूक बधिर थी।
रफीक का परिवार गरीबी में जिंदगी गुजार रहा है। उसके पास इतने पैसे नहीं थे कि बेटी का आपरेशन करा सके। वह सोचता था कि बेटी कभी न सुन पाएगी और न ही बोल पाएगी। एक दिन RBSK टीम की डॉ. खुशबू जमाल और दिनेश कुमार ने बच्चों का वजन और स्क्रीनिंग के लिए आंगनबाड़ी केंद्र में बुलाया। उन्होंने योजना के बारे में जानकारी दी लेकिन रफीक को भरोसा न हुआ।
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कुछ समय पश्चात मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पर कैंप लगा।
वहां से कॉल आई कि बेटी की निःशुल्क सर्जरी की जाएगी जिससे वह बोल व सुन सकेगी। यह बात सुनकर कुछ समय तक भौंचक रह गया। जिला अस्पताल जाकर आरफा को दिखाया।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत लखनऊ के कॉस्मेटिक सर्जरी सेंटर विनायक हॉस्पिटल में उसका आपरेशन हुआ। वह अब बोल व सुन पा रही है। रफीक ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम परिवार के लिए वरदान साबित हुआ है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आलोक कुमार ने बताया कि जन्मजात मूक बधिर बच्चों का राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत निःशुल्क कोकलियर इंप्लांट सर्जरी से गूंगे और बहरेपन का इलाज संभव है।
कोकलियर इंप्लांट सर्जरी द्वारा चयनित प्रत्येक बच्चे पर मशीन, चिकित्सा और प्रशिक्षण पर लगभग आठ लाख रुपए का खर्च आता है जो आरबीएसके के तहत सरकार वहन करती है। जनपद में ऐसे कई बच्चों का इस विधि से आपरेशन कर ठीक किया गया है।
RBSK के नोडल अधिकारी डॉ. हरिदत्त नेमी और डीईआईसी मैनेजर मोहम्मद जुबैर ने बताया कि आरबीएसके के अंतर्गत सदर अस्पताल में आए बच्चों का परीक्षण के बाद लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, अलीगढ़ व आगरा में इलाज के लिए भेजा जाता है। पिछले वित्तीय वर्ष में जनपद के विभिन्न ब्लॉकों से अब तक 2,79,426 बच्चों का परीक्षण किया गया और जन्मजात विकृति बाले 36,539 बच्चे चिन्हित किए गए जिनमें से 18059 का निशुल्क उपचार हो चुका है।
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