सरकार सशस्त्र बलों को आधुनिक युद्ध मशीन में बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ रही : Rajnath

नयी दिल्ली: रक्षा मंत्री Rajnath ने कहा है कि सरकार गतिशील भू-राजनीतिक विश्व व्यवस्था और युद्ध के निरंतर बदलते स्वरूप को देखते हुए सशस्त्र बलों…

नयी दिल्ली: रक्षा मंत्री Rajnath ने कहा है कि सरकार गतिशील भू-राजनीतिक विश्व व्यवस्था और युद्ध के निरंतर बदलते स्वरूप को देखते हुए सशस्त्र बलों को आधुनिक युद्ध मशीन में बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। रक्षा मंत्री ने बुधवार को 77वें सेना दिवस समारोह के तहत पुणे में आयोजित ‘गौरव गाथा’ कार्यक्रम में युद्ध में अपरंपरागत और विषम तरीकों के बढ़ते उपयोग पर प्रकाश डाला और सशस्त्र बलों से हमेशा सतर्क रहने और किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहने का आह्वान किया। श्री सिंह ने कहा, “संघर्ष और युद्ध अधिक हिंसक और अप्रत्याशित हो जाएंगे। कई देशों में गैर-सरकारी तत्वों का उभरना और उनका आतंकवाद का सहारा लेना भी चिंता का विषय है। तेजी से हो रही तकनीकी प्रगति के कारण भविष्य के युद्धों में काफी हद तक बदलाव देखने को मिल सकता है। साइबर और अंतरिक्ष क्षेत्र तेजी से नए युद्ध क्षेत्रों के रूप में उभर रहे हैं। इसके साथ ही, पूरी दुनिया में कथात्मक और धारणागत युद्ध भी लड़ा जा रहा है। सेना को समग्र क्षमता निर्माण और सुधारों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।”

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रक्षा मंत्री ने वर्ष 2047 तक विकसित भारत के विजन को साकार करने के लिए एक मजबूत सुरक्षा प्रणाली, मजबूत सेना और सुरक्षित सीमाओं की आवश्यकता पर जोर दिया । Rajnath ने कहा कि रक्षा मंत्रालय सशस्त्र बलों को नवीनतम हथियारों और प्लेटफार्मों से लैस करके उनकी ताकत बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है और आत्मनिर्भरता से आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। श्री सिंह ने कहा, “भारत इस समय बदलाव के दौर से गुजर रहा है। हम विकासशील देश से विकसित देश बनने की ओर बढ़ रहे हैं। विकसित भारत बनने के लिए समाज के हर वर्ग को अपना योगदान देना होगा। लेकिन उनका योगदान तभी सार्थक होगा जब हमारा सुरक्षा तंत्र पुख्ता होगा और सीमाएं सुरक्षित होंगी। सुरक्षा व्यवस्था तभी मजबूत होगी जब हमारी सेना मजबूत होगी। कोई भी देश तब तक विकास नहीं कर सकता जब तक उसकी सेना शक्तिशाली न हो।” रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि शांति सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत सेना जरूरी है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत ने हमेशा ‘युद्ध’ के बजाय ‘बुद्ध’ को प्राथमिकता दी है और सशस्त्र बलों ने बार-बार साबित किया है कि शांति कोई कमजोरी नहीं बल्कि ताकत का प्रतीक है।

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