नई दिल्ली,। केंद्रीय गृह एवं सहकारितामंत्री Amit Shah आज देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पहुंच रहे हैं। वो राष्ट्रीय शहरी सहकारी वित्त एवं विकास निगम (एनयूसीएफडीसी) के कॉर्पोरेट कार्यालय का उद्घाटन कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन को आगे बढ़ाएंगे। इसका मकसद सहकारिता के क्षेत्र को और अधिक सशक्त करना है। भारत सरकार के पत्र एवं सूचना कार्यालय (पीआईबी) की 22 जनवरी की विज्ञप्ति में इस कार्यक्रम की अग्रिम जानकारी दी गई थी।
मोदी सरकार की ओर से शुरू की गई योजनाओं में आयुष्मान सर्वश्रेष्ठ: Amit Shah
10,000 बहुउद्देशीय सहकारी समितियों की होगी रैंकिंग Amit Shah
शाह अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 के दौरान गतिविधियों के वार्षिक कैलेंडर का विमोचन करेंगे। साथ ही देश में नवगठित 10,000 बहुउद्देशीय सहकारी समितियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम और प्राथमिक सहकारी समितियों के लिए रैकिंग फ्रेमवर्क का शुभारंभ भी करेंगे। शहरी सहकारी बैंकों को उनके व्यवसाय में आ रही कठिनाइयों को दूर करने के लिए अंब्रेला संगठन एनयूसीएफडीसी की स्थापना की गई है। इससे लगभग 1,500 शहरी सहकारी बैंकों को आवश्यक आईटी अवसरंचना और संचालन में सहायता मिलेगी। यही नहीं प्राथमिक सहकारी समितियों के रैंकिंग फ्रेमवर्क से समितियों को पारदर्शिता, दक्षता, और कार्यक्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी। बड़ी बात यह है कि उनकी विश्वसनीयता और प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता में अप्रत्याशित वृद्धि होगी।
एनयूसीएफडीसी हासिल करेगा 300 करोड़ रुपये Amit Shah
आरबीआई की मंजूरी के अनुसार अंब्रेला संगठन 300 करोड़ रुपये की पेड-अप कैपिटल प्राप्त करने के बाद, स्व-नियामक संगठन के रूप में कार्य करेगा। इसके कामकाज का स्वरूप आरबीआई निर्धारित करेगा। आरबीआई ने पंजीकरण तिथि से एक वर्ष के भीतर अर्थात आठ फरवरी, 2025 तक पेड-अप कैपिटल प्राप्त करने के लिए संगठन को निर्देशित किया है ।
कैलेंडर देगा सहकारी आंदोलन को नया आयाम Amit Shah
पीआईबी के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 के वार्षिक गतिविधियों के कैलेंडर के विमोचन से सहकारी आंदोलन को एक नया आयाम मिलेगा। इस कैलेंडर के माध्यम से देशभर में सहकारी संगठनों की सहभागिता बढ़ाई जाएगी और सहकारिता को वैश्विक स्तर पर मजबूती मिलेगी। सहकारिता वर्ष का आयोजन सहकारिता के महत्व को वैश्विक स्तर पर उजागर करने में मदद करेगा। इससे विभिन्न देशों के बीच अनुभव और बेस्ट प्रैक्टिसस का आदान-प्रदान होगा, जिससे भारत में सहकारी संस्थाओं को और मजबूती मिलेगी। सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण विकास, रोजगार सृजन, और आर्थिक समृद्धि के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए यह एक प्रेरणास्त्रोत बनेगा। साथ ही, यह स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने और उनके सामाजिक-आर्थिक विकास में सहायक होगा।