अंतरराष्ट्रीयराष्ट्रीयउत्तर प्रदेशउत्तराखंडपंजाबहरियाणाझारखण्डऑटोमोबाइलगैजेट्सखेलनौकरी और करियरमनोरंजनराशिफलव्यवसायअपराध

---Advertisement---

Uttarakhand वन विभाग की अनूठी पहल: देश में पहली बार संकटग्रस्त पौधों की प्रजातियों को उनके प्राकृतिक आवास में पुनःस्थापित करने की शुरुआत

On: July 15, 2025 10:49 AM
Follow Us:
Uttarakhand
---Advertisement---

नैनीताल। देश में पहली बार Uttarakhand वन विभाग ने संकटग्रस्त और दुर्लभ वनस्पतियों की प्रजातियों को उनके प्राकृतिक वास में पुनःस्थापित करने की पहल शुरू की है। वन विभाग की अनुसंधान शाखा द्वारा चलाई जा रही इस महत्वाकांक्षी परियोजना के पहले चरण में 14 ऐसी पौधों की प्रजातियों को शामिल किया गया है जो या तो अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) की रेड लिस्ट में संकटग्रस्त या अति संकटग्रस्त श्रेणी में सूचीबद्ध हैं, या फिर राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा दुर्लभ और संकटग्रस्त घोषित की गई हैं।

Uttarakhand News : कैंची धाम यात्रियों के लिए खुशखबरी, बाईपास पर 10.28 करोड़ की लागत से बनेगा 75 मीटर लंबा पुल

मुख्य वन संरक्षक (अनुसंधान) संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि अब तक इस तरह के संरक्षण कार्यक्रम केवल वन्यजीवों के लिए ही संचालित होते थे, लेकिन यह पहली बार है जब वनस्पतियों के लिए इस प्रकार की वैज्ञानिक और व्यवस्थित पहल की जा रही है।

चतुर्वेदी ने कहा कि इन पौधों का अत्यधिक औषधीय महत्व है, जिसके कारण जंगलों से इनका अत्यधिक दोहन हुआ और इनकी संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई। उन्होंने बताया कि विभाग की अनुसंधान शाखा ने वर्षों की मेहनत के बाद इन प्रजातियों की प्रवर्धन तकनीक विकसित की है और अब इन्हें उनके पारंपरिक प्राकृतिक वास में दोबारा रोपित किया जा रहा है।

इस परियोजना के लिए चुनी गई प्रमुख प्रजातियों में त्रायमाण, रेड क्रेन ऑर्किड, सफेद हिमालयन लिली, गोल्डन हिमालयन स्पाइक, दून चीजवुड, कुमाऊं फैन पाम, जटामांसी, पटवा और हिमालयन अर्नेबिया शामिल हैं। इन प्रजातियों को बीज, कंद और राइजोम के माध्यम से तैयार कर, उच्च हिमालयी केंद्रों पर पौध रूप में विकसित किया गया है। विभाग ने इन पौधों के पुराने वास स्थलों की पहचान कर उनका मानचित्रण भी कर लिया है, और मानसून की शुरुआत के साथ ही रोपण कार्य आरंभ कर दिया गया है। जुलाई के अंत तक पहले चरण का रोपण कार्य पूरा कर लिया जाएगा।

Uttarakhand, चतुर्वेदी ने बताया कि इन वनों की नियमित निगरानी और मूल्यांकन किया जाएगा ताकि पुनःस्थापित की गई प्रजातियों का विकास सुचारू रूप से हो सके। इसके साथ ही परियोजना के आगामी चरणों में और अधिक संकटग्रस्त प्रजातियों को भी इस प्रयास में शामिल किया जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि उत्तराखंड की यह पहल देशभर में जैव विविधता संरक्षण के लिए एक प्रेरणास्रोत बनेगी और अन्य राज्य भी इस दिशा में कदम उठाएंगे।

Uttarakhand  का यह प्रयास देश में वनस्पति संरक्षण की दिशा में एक नई इबारत लिख रहा

यह योजना केवल एक वैज्ञानिक प्रयोग नहीं है, बल्कि यह प्रकृति के साथ एक संवेदनशील संवाद है। यह साबित करता है कि यदि सही दिशा और समर्पण के साथ काम किया जाए, तो संकट में आई प्रकृति की अमूल्य धरोहर को पुनः जीवन दिया जा सकता है। Uttarakhand का यह प्रयास देश में वनस्पति संरक्षण की दिशा में एक नई इबारत लिख रहा है।

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Leave a Reply