Neno Urea (Liquid): धरती मां को बचाना है, नैनो यूरिया लगाना है

इफको Neno Urea का प्रयोग कर धरती मां को बंजर होने से बचाना है

Neno Urea हसनपुर: यूरिया के अधिक प्रयोग करने से फसलों में खरपतवार की संख्या में वृद्धि एवं नई-नई तरह की बीमारियां लग रही हैं अगर हमें इन बीमारियों से बचना है और हमें अपनी पैदावार को बढ़ाना है तो दानेदार यूरिया का कम प्रयोग करके नैनो यूरिया का अधिक प्रयोग करना पड़ेगा तभी हमारी पैदावार में वृद्धि होगी और आने वाली पीढ़ी हमारी इस धरती मां से अधिक से अधिक पैदावार ले सकती हैं आज हम अधिक पैदावार के चक्कर में धरती को बंजरा करे जा रहे हैं आने वाली पीडीयों के बारे में नहीं सोच रहे ।

 

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 Neno Urea  उत्तर प्रदेश के जिला अमरोहा के ब्लॉक हसनपुर में इफको द्वारा ब्लॉक स्तरीय गोष्ठी का आयोजन किया गया

जिसमें इफको के प्रतिनिधि ओंकार सिंह राणा ने इफको नैनो यूरिया के बारे में वहां पर उपस्थित सभी किसानों एवं विक्रेताओं को जानकारी देते हुए बताया की नैनो यूरिया का इस्तेमाल हम फसल बोने के 30 दिन के बाद जब हमारी फसल पूरी तरह से जमीन को ढक ले उस समय हम एक 500ml की नैनो यूरिया की बोतल का स्प्रे 5 बीघा में  कर सकते हैं नैना यूरिया के साथ हम कोई भी फंगीसाइड कीटनाशक आदि का भी प्रयोग कर सकते हैं यह सभी के साथ लगाया जा सकता है

 

 

Neno Urea के इस्तेमाल से हम अपनी लागत को कम और उपज को बढ़ा सकते हैं

सिर्फ जरूरत है किसान को जागरूक होने की इफको द्वारा नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के उतरने का सिर्फ मकसद यही है की जमीन की उर्वरक क्षमता को बनाए रखना और पीढ़ी दर पीढ़ी इससे हमें फसल लेते रहना अगर हम अपनी फसलों में अधिक कीटनाशक अधिक यूरिया खाद का इस्तेमाल करेंगे तो इस मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम हो जाएगी बंजर होती चली जाएगी

और आने वाली पीढ़ियां पैदावार नहीं ले सकती अगर हम नैनो यूरिया तरल और नैनो डीएपी तरल का इस्तेमाल करते हैं तब आने वाली पीडियों को एक नई सौगात देकर जाएंगे जिससे वह की धरती मां से अधिक से अधिक फसल ले सकेंगे

 

 

 Neno Urea  इफको संभल के एरिया मैनेजर विवेक कुमार ने सभी को बड़े ही सरलता से समझाते हुए

नैनो यूरिया का कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है 1 लीटर पानी में दो से 4 ml मिलाकर किसी भी फंगीसाइड एवं कीटनाशक के साथ मिलाकर स्प्रे किया जा सकता है कुछ किसान भाई पहले दानेदार यूरिया को खेत में बघेर कर बाद में पानी देते हैं इससे हमारी फसल को सिर्फ 15 से 20 परसेंट ही नाइट्रोजन मिल पाती है और कुछ किसान भाई यूरिया को ट्यूबेल की होदीया में ही डाल देते हैं

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जिससे वह यूरिया फसलों को ना मिलकर सीधे जमीन के अंदर चला जाता है  मिट्टी की उर्वरा शक्ति को कम करता है  फसलों में अनेकों बीमारियां खरपतवार हमारे पीने वाले जल को भी दूषित करता है  यूरिया के अंदर अमोनिया की मात्रा होने से वह वायु में घुलने लगती है जिससे वायु भी दूषित होती है

 

सचिवालय

 सभी को Neno Urea और नैनो डीएपी को प्रयोग करने एवं प्रयोग कराने के लिए कहा।

मंच की अध्यक्षता विधायक पुत्र देवेंद्र सिंह खड्गवंशी एवं संचालन इफको प्रतिनिधि ओंकार सिंह राणा ने किया मंच पर उपस्थित संभल के एरिया मैनेजर विवेक कुमार चौधरी नरेंद्र सिंह समर इंडिया के प्रधान संपादक अमन कुमार सिद्धू तथा वहां पर कुमारपाल सिंह सैनी, मुनिंदर सिंह, चेतन सिंह, ओंकार सिंह ,अभिजीत सिंह दर्जनों किसान एवं विक्रेता मौजूद रहे

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