Punjab News : मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में हुई बैठक, लिया गया यह फैसला

Punjab मंत्रिमंडल ने सड़क हादसों में लोगों की जान बचाने के लिए राज्य में ‘सड़क सुरक्षा फोर्स’ के गठन को हरी झंडी दे दी है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। वहीं, कैबिनेट ने शासन में और सुधार के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के प्रयोग पर भी सहमति जता दी है। इस फैसले से लोगों बेहतर सेवाएं मिल सकेंगी।

Punjab News : नेशनल हाईवे की सुरक्षा करेगी सड़क सुरक्षा फोर्स

सड़क सुरक्षा फोर्स राज्य में 5500 किलोमीटर लंबे स्टेट और नेशनल हाईवे की सुरक्षा करेगी। हालांकि, राज्य में सड़कों का कुल नेटवर्क 72,078 किलोमीटर है, जिसमें से 5.64 प्रतिशत स्टेट और नेशनल हाईवे है। कैबिनेट ने चिंता जाहिर की है कि 65 प्रतिशत सड़क हादसे नेशनल और स्टेट हाईवे पर ही होते हैं। साल 2021 में 580 सड़क हादसों में 4476 जानें चली गईं। ज्यादातर सड़क हादसे शाम 6 से रात 12 बजे के बीच होते हैं, जिस समय पर इन सड़कों पर पुलिस की मौजूदगी बहुत कम होती है।

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वहीँ आपको बताते चले कि अब तक हुए सड़क हादसों के आधार पर हाईवे पर गश्त करने वाले रूटों को चिह्नित किया गया है। इन पर 144 पेट्रोलिंग वाहन तैनात किए जाएंगे, जो शराब पीकर ड्राइविंग करने वालों और ओवरस्पीड की जांच करने के लिए विशेष उपकरणों से लैस होंगे। प्रत्येक वाहन 30 किलोमीटर के दायरे में गश्त करेगा। इन वाहनों को खरीदने और इन पर लगाए जाने वाले आधुनिक उपकरण की खरीद पर 30 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

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सड़क सुरक्षा फोर्स में 5000 पुलिस जवान तैनात किए जाएंगे, जिनमें से 1200-1500 पुलिस जवान नए भर्ती हुए पुलिस मुलाजिमों में से होंगे। कैबिनेट ने माना कि सड़क हादसों में मौतों की संख्या घटाने, टैक्स चोरी रोकने, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, लोगों के मसलों के अधिक प्रभावी ढंग से समाधान और अन्य कार्यों में एआई मददगार साबित हो सकता है।

इतना ही नहीं इसके लिए पंजाब राज गवर्नेंस सोसाइटी (पीईजीएस) में नई तकनीकों (इमर्जिंग प्रौद्योगिकी) संबंधी एक सेंटर पहले ही स्थापित किया गया है। एआई व मशीन लर्निंग (एमएल) का पूरा फायदा लेने के लिए विभाग ने एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) के साथ समझौता किया है। यह भी फैसला किया है कि एआई पर और ज्यादा ध्यान देकर नई प्रौद्योगिकी के लिए बने इस सेंटर को मजबूत करने पर ध्यान दिया जाएगा। इसके लिए प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू) का भी गठन किया जाएगा।

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