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Badaun News:अंतिम संस्कार तक के लिए पैसे नहीं थे।डॉक्टर बोले बिना वीडियोग्राफी नहीं करूंगा पोस्टमार्टम,चार घंटे तक रुकी रही पोस्टमार्टम की प्रक्रिया

Badaun News बदायूं। महिला के शव से आंखें निकालने के मामले में दो डॉक्टरों को जेल भेजे जाने के बाद बरती जा रही एहतियात रविवार को दो परिवारों पर भारी पड़ गई। दो शवों का पोस्टमार्टम शुरू करने से पहले वीडियोग्राफी कराने पर डॉक्टर अड़ गए। उन्होंने तभी हामी भरी सात हजार रुपये देने के बाद वीडियोग्राफर वहां पहुंचा। चार घंटे तक पोस्टमार्टम का काम इस कारण रुका रहा, क्योंकि एक परिवार तो इतना गरीब था कि अंतिम संस्कार तक के लिए पैसे नहीं थे। जैसे-तैसे इस परिवार ने इंतजाम किया।

 

 

Badaun News रविवार को सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के अंतर्गत मीरा सराय निवासी पप्पू और आसफपुर निवासी अयोध्या प्रसाद के शवों का पोस्टमार्टम होना था

 

Badaun News  दोनों के शव शनिवार रात पोस्टमार्टम हाउस पर ले जाए गए थे। समय ज्यादा होने के कारण पोस्टमार्टम नहीं हो पाया था। रविवार सुबह करीब दस बजे पोस्टमार्टम हाउस खुला। यहां डॉ.गौस मोहम्मद की ड्यूटी थी। वह जैसे ही पहुंचे, उन्होंने व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी ली।

 

 

Badaun News डॉक्टर ने पूछा कि वीडियोग्राफी कराई जा रही है या नहीं, तो कर्मचारियों ने जवाब दिया

 

ज्यादा संवेदनशील मामलों में ही वीडियोग्राफी कराई जाती है। इस पर डॉक्टर ने कहा कि कोई भी शव हो, वह बिना वीडियोग्राफी के पोस्टमार्टम नहीं करेंगे, उन्हें जेल नहीं जाना है। वीडियोग्राफी होगी तभी वह पोस्टमार्टम करेंगे। उनका इतना कहने पर मृतकों के परिवार वालों में खलबली मच गई।इनमें पप्पू का परिवार बेहद गरीब था। शव का अंतिम संस्कार करने तक के उनके पास पैसे नहीं थे। जब उनके रिश्तेदारों और परिवार वालों ने यह बात सुनी तो

उन्होंने किसी तरह वीडियोग्राफर के लिए रुपयों का इंतजाम किया। ऐसे में करीब चार घंटे बाद पप्पू के शव का पोस्टमार्टम हो सका। इसी प्रकार अयोध्या प्रसाद के शव का पोस्टमार्टम भी वीडियोग्राफी होने पर ही हो सका। दोनों परिवारों को 3500-3500 रुपये वीडियोग्राफर को देने पड़े।

 

Badaun News प्रभारी सीएमओ डॉ. अब्दुल सलाम ने कहा कि मामला संज्ञान में नहीं है।

वैसे तो वीडियोग्राफी पुलिस की ओर से कराई जाती है। उसके पैसे कौन देता है, इसकी मुझे जानकारी नहीं है। अगर रुपये परिवार वालों से लिए जा रहे हैं तो यह गलत है। इस बारे में अधिकारियों से बात करेंगे।
सीओ सिटी आलोक मिश्रा ने कहा कि हर मामले में वीडियोग्राफी नहीं कराई जाती। यह नियम वर्षों से चला आ रहा है। जो मामले ज्यादा संवेदनशील होते हैं उनमें ही वीडियोग्राफी कराई जाती है। हम इस संबंध में जानकारी करेंगे।

 

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