अंतरराष्ट्रीयराष्ट्रीयउत्तर प्रदेशउत्तराखंडपंजाबहरियाणाझारखण्डऑटोमोबाइलगैजेट्सखेलनौकरी और करियरमनोरंजनराशिफलव्यवसायअपराध

---Advertisement---

आपातकाल तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी का ‘अन्यायकाल’ था: Amit Shah

On: June 25, 2025 11:02 AM
Follow Us:
Amit Shah
---Advertisement---

नयी दिल्ली : केन्द्रीय गृह मंत्री Amit Shah ने कहा है कि उनकी सरकार ने पिछले वर्ष 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने का निर्णय इसलिए लिया ताकि देश के मन मस्तिष्क में यह बात घर कर जाये कि जब सरकार तानाशाह बनती है तो देश को कैसे भयानक दुष्परिणाम भुगतने पड़ते हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री Amit Shah की नक्सलियों को चेतावनी, ‘बारिश में भी सोने नहीं देंगे’

Amit Shah ने मंगलवार को यहां श्यामा प्रसाद मुखर्जी न्यास द्वारा आयोजित “आपातकाल के 50 साल” कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि वह आपातकाल नहीं तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी का ‘अन्यायकाल’ था

केन्द्रीय गृह मंत्री Amit Shah ने कहा कि जब 11 जुलाई 2024 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने निर्णय किया कि हर वर्ष 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा, तब यह सवाल उठे कि 50 साल पहले हुई किसी घटना पर बात करके आज क्या हासिल होगा?

उन्होंने कहा ,“ मोदी जी ने ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने का निर्णय इसलिए लिया, ताकि देश की चिर स्मृति में यह बना रहे कि जब कोई सरकार तानाशाह बनती है, तो देश को कैसे भयानक दुष्परिणाम भुगतने पड़ते हैं।” उन्होंने कहा कि जब किसी अच्छी या बुरी राष्ट्रीय घटना के 50 साल पूरे होते हैं, तो सामाजिक जीवन में इसकी याद धुंधली हो जाती है और अगर आपातकाल जैसी लोकतंत्र की नींव हिलाने वाली घटना को लेकर समाज की याददाश्त धुंधली होती है तो यह किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए बहुत बड़ा खतरा होता है।

Amit Shah ने कहा कि लोकतंत्र और तानाशाही मन के दो भाव हैं, जिसे किसी व्यक्ति से नहीं जोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि मन के भाव दरअसल मानव प्रकृति के भाव हैं, जो कभी न कभी दोबारा उभर कर देश और समाज के सामने चुनौती बनकर आ सकते हैं।

श्री शाह ने कहा कि भारत को दुनिया में लोकतंत्र की जननी माना जाता है। लोकतंत्र भारत में सिर्फ संविधान की भावना नहीं है, बल्कि संविधान निर्माताओं ने जनता की भावना को संविधान में निहित शब्दों के रूप में व्याख्यायित करने का काम किया है और यह हमारा जन स्वभाव है।

Amit Shah भारत को दुनिया में लोकतंत्र की जननी माना जाता है

श्री शाह ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि आपातकाल के समय जीवित रहे किसी भी सुधि नागरिक को आपातकाल पसंद नहीं आया होगा। उन्होंने कहा कि जिन्हें भ्रम था कि उन्हें कौन चुनौती दे सकता है, आपातकाल के बाद हुए चुनावों में उनकी हार हुई और आजादी के बाद पहली बार गैर-काँग्रेसी सरकार बनी।

उन्होंने कहा कि दस्तावेजों में आपातकाल के भले ही 50 साल हो गए हों, परन्तु आज भी करोड़ो भारतीयों के मन में घाव उतना ही हरा है, जितना आपातकाल के समय था। उन्होंने कहा कि वो आपातकाल नहीं, तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी का ‘अन्यायकाल’ था।

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Leave a Reply