transgender:अंतिम संस्कार में जूते से क्यों पीटते हैं किन्नरों का शव?

transgenderकी दुनिया आम आदमी से हर मायने में अलग होती है. ये वो लोग हैं, जो ना स्त्री हैं और ना ही पुरुष. इन्हें थर्ड…

transgender:अंतिम संस्कार में जूते से क्यों पीटते हैं किन्नरों का शव?

transgenderकी दुनिया आम आदमी से हर मायने में अलग होती है. ये वो लोग हैं, जो ना स्त्री हैं और ना ही पुरुष. इन्हें थर्ड जेंडर कहा जाता है. ये वो होते हैं, जो हमारी हर खुशी में शामिल होने पहुंच जाते हैं. हमारे लिए दुआएं देते हैं. हिंदू धर्म में तो माना जाता है कि किन्नरों की दुआओं में बहुत शक्ति होती है.

 

लेकिन इन transgender की जिंदगी के बारे में बहुत कम ही जानकारी मिल पाती है.

लेकिन आज हम आपको इनके अंतिम संस्कार से जुड़ी चौंकाने वाली परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में जानकर आपके होश उड़ जाएंगे. क्या कभी सोचा है आपने कि मरने के बाद इन transgenderका अंतिम संस्कार कैसे होता है? इनके शवों को जूते से क्यों मारा जाता है और रात में ही अंतिम संस्कार क्यों होता है? अगर नहीं जानते हैं, तो आइए हम आपको इस बारे में बतलाते हैं.

 

दरअसल, transgender की मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार को गोपनीय रखा जाता है,

ताकि कोई गैर-किन्नर उसे देख न सके. इसलिए अक्सर रात में ही उनकी अंतिम यात्रा निकाली जाती है. ऐसा माना जाता है कि अगर किसी किन्नर के अंतिम संस्कार को आम इंसान देख ले, तो मरने वाले का जन्म फिर से किन्नर के रूप में ही होगा. बताया जाता है कि शवयात्रा के दौरान भी किन्नरों की डेड बॉडी को चार कंधों पर लिटाकर ले जाने की जगह शव को खड़ा करके अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाता है.

उनके शव को सफेद कपड़े में लपेट दिया जाता है, जिसका मतलब होता है कि मृतक का अब इस शरीर और इस दुनिया से कोई नाता नहीं रहा. इसके अलावा उनके मुंह में पवित्र नदी का पानी डालने का भी रिवाज है. इसके बाद ही शव को दफनाया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि शव दफनाने के दौरान अगर कोई आम इंसान उसे देख लेता है तो किन्नर उसकी पिटाई भी करते हैं.

transgender
 

किन्नरों के बारे में कहा जाता है कि मरने से ठीक पहले उन्हें अपनी मौत का अहसास हो जाता है. ऐसे में वे खाना-पीना बंद कर देते हैं. घर से बाहर भी नहीं निकलते हैं. वे पूरी तरह से इस दौरान ईश्वर की भक्ति में लीन हो जाते हैं और दुआ मांगते हैं कि हे प्रभु, इस जन्म में किन्नर तो हुए,

लेकिन अगले जन्म में हमें transgender न बनाएं. किन्नर खुद अपने जीवन को इतना अभिशप्त मानते हैं कि अंतिम यात्रा से पहले मृतक के डेड बॉडी को जूते-चप्पलों से पीटते हैं. साथ ही साथ वे जमकर गालियां देते हैं. ऐसा करने की वजह भी है. किन्नरों का मानना है

मृत किन्नर ने जीते-जी कोई अपराध किया हो तो उसका प्रायश्चित हो जाए और अगला जन्म स्त्री या पुरुष में हो. बता दें कि जब भी किसी किन्नर की मौत होती है, तो पूरा समुदाय एक सप्ताह तक उसके लिए व्रत करता है और मृतक के लिए दुआएं मांगता है.

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