नई दिल्ली। विडंबना है कि दुनिया की आबादी के लिहाज से वाहनों की संख्या में एक प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाला भारत, सड़क दुर्घटनाओं से मौत के वैश्विक आंकड़ों में 10 प्रतिशत से ज्यादा की हिस्सेदारी रखता है। इन मौतों का प्रमुख कारण घायलों को समय से इलाज नहीं मिल पाना है। इसे देखते हुए मोदी सरकार ने मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 162 में वर्ष 2019 में संशोधन करते हुए सड़क दुर्घटनाओं के कैशलेस इलाज को कानूनी अनिवार्यता दे दी।
पायलट प्रोजेक्ट के तहत यह योजना अभी छह राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों में चल रही है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को लोकसभा में बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के निष्कर्षों को व्यावहारिकता की कसौटी पर कसते हुए अब इस सुविधा को देशभर में लागू करने की तैयारी है।