खेल-खेल में दबा दिया airgun का ट्रिगर,दस वर्षीय बालक की गर्दन में फंसा छर्रा

मूसाझाग थाना क्षेत्र के गांव में खेल-खेल में दबा दिया airgun का ट्रिगर,दस वर्षीय बालक की गर्दन में फंसा छर्रा- बदायूं। मूसाझाग थाना क्षेत्र के गांव अहोरामई में खेल-खेल मेंairgun …

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मूसाझाग थाना क्षेत्र के गांव में खेल-खेल में दबा दिया airgun का ट्रिगर,दस वर्षीय बालक की गर्दन में फंसा छर्रा-

बदायूं। मूसाझाग थाना क्षेत्र के गांव अहोरामई में खेल-खेल मेंairgun चलने पर 10 वर्षीय बालक हरजीत घायल हो गया। उसकी गर्दन में छर्रा जा लगा। परिवार वाले उसे जिला अस्पताल ले गए, लेकिन यहां बालक को भर्ती नहीं किया। बाद में उन्होंने हरजीत को राजकीय मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया।परिवार वालों का आरोप है|कि पुलिस ने एफआईआर दर्ज करना तो दूर मजलूमी चिट्ठी तक नहीं दी, जिससे बालक का ऑपरेशन नहीं हो सका।

 

 

airgun छर्रा बालक की गर्दन में फंसा हुआ है।

ग्राम अहोरामई निवासी प्रमोद कुमार के मुताबिक यह मामला 31 अगस्त का है। उस दिन दोपहर के समय उनका 10 वर्षीय बेटा हरजीत गांव के नजदीक बाग में अपनी बकरियां चरा रहा था।उस दौरान बाग में गांव के कई बच्चे भी खेल रहे थे। वहीं नजदीक में गुलड़िया निवासी एक व्यक्ति का खेत है। वह रोजाना अपनी एयरगन लेकर खेत पर रखवाली करने आता है।

 

 

बताते हैं कि उसने अपनी airgun चारपाई से टेक दी थी।

वह अपने खेत में काम कराने में लग गया। बच्चे खेलते-खेलते चारपाई के नजदीक पहुंच गए और एयरगन उठाकर उसे देखने लगे। तभी एक आठ साल के बालक ने एयरगन का ट्रिगर दबा दिया, जिससे एयरगन से छर्रा निकलकर नजदीक में खड़े हरजीत की गर्दन में जा लगा। यह देखकर बच्चे मौके से भाग गए। हरजीत के रोने की आवाज सुनकर कई लोग वहां आ गए। वह बालक की गर्दन से खून रोकने की कोशिश कर रहे थे।

 

 

बदायूँ पुलिस

परिवार वालों का कहना है कि उन्होंने इसकी सूचना थाना पुलिस को भी दी

लेकिन मौके पर पहुंचे एक दरोगा ने जबरन फैसला लिखवा दिया। उनको मजलूमी चिट्ठी तक नहीं दी। जब परिवार वाले बालक को जिला अस्पताल ले गए तो वहां बिना मजलूमी चिट्ठी के बालक को भर्ती नहीं किया। इससे परिवार वाले उसे राजकीय मेडिकल कॉलेज ले गए। वहां भी अभी तक बालक का ऑपरेशन कर छर्रा नहीं निकाला गया है। बालक अभी भी मेडिकल कॉलेज में भर्ती है। उसकी हालत काफी खराब है।

 

मूसाझाग थाने के एसओ शिवेंद्र भदौरिया ने कहा कि परिवार वालों ने खुद लिखकर दिया है कि वह कार्रवाई कराना नहीं चाहते।वह अपनी मर्जी से बालक को ले गए थे। अगर वे कहते एफआईआर दर्ज करें तो हम एफआईआर दर्ज कर लेते। कोई लौटकर थाने नहीं आया है।छर्रा

सचिवालय

 

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