कोंच में भाजपा ने रचा इतिहास, 35 साल का वनवास काट कर संभाली कोंच पालिका की गद्दी

कोंच में भाजपा ने रचा इतिहास, 35 साल का वनवास काट कर संभाली कोंच पालिका की गद्दी कोंच (जालौन)से गिरजा शंकर अग्रवाल की रिपोर्ट –…

कोंच में भाजपा ने रचा इतिहास, 35 साल का वनवास काट कर संभाली कोंच पालिका की गद्दी
कोंच (जालौन)से गिरजा शंकर अग्रवाल की रिपोर्ट –

मौजूदा निकाय चुनाव में भाजपा ने इतिहास रच डाला, पिछले पैंतीस सालों से वनवास काट रही भाजपा को इस बार कोंच की जनता ने भर भर झोली वोट देकर नगर पालिका की गद्दी सौंप दी। इसके साथ ही भाजपा के माथे से भितरघात का भी कलंक मिट गया।  प्रत्याशी प्रदीप गुप्ता ने लगभग हर हिंदू बहुल वार्ड में वोट बटोरे और 43 वोट से विजयश्री का वरण कर लिया।

भाजपा ने इससे पहले वर्ष 1988 में जीत हासिल की थी

जब 1987 में हुए रामलीला कांड में हीरो बन कर उभरे स्व. पं. राधेश्याम दांतरे पालिकाध्यक्ष पद पर चुनाव जीते थे। इसके बाद अगले निकाय चुनाव 1996 में हुए थे जिसमें  प्रत्याशी स्व. डॉ. अवधबिहारी गुप्ता जिनकी गिनती जनसंघ के संस्थापकों में की जाती थी, कांग्रेस (तिवारी) के प्रत्याशी स्व. अशोक शुक्ला से चुनाव हार गए थे।

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वर्ष 2001 में हुए चुनाव में स्व. शुक्ला ने दोबारा लगातार जीत हासिल कर   विनोद अग्निहोत्री को करीब तीन हजार वोट के अंतर से हराया था।

भाजपा

वर्ष 2007 में महिला के लिए आरक्षित सीट पर  प्रत्याशी ऊषा तिवारी सपा की शकुंतला तरसौलिया से चुनाव हार गईं थीं। इसके बाद वर्ष 2012 में पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित पालिकाध्यक्ष पद पर भाजपा की अंजली सोनी को निर्दलीय विनीता सीरौठिया ने शिकस्त दी थी और 2017 में भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट पर   मुंह की खानी पड़ी थी

जब कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. सरिता वर्मा ने   प्रेमनारायण वर्मा को हराया था।

इस तरह लगातार सचिवालय पांच बार की हार से कसमसा रही भाजपा इस बार पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ी और पांच कोणीय कांटे के मुकाबले में कम अंतर से ही सही, जीत अपनी झोली में डाल ली। इस तरह पैंतीस साल का लंबा वनवास काटने के बाद अब शहर की सरकार की कमान भाजपा ने आखिरकार थाम ही ली।

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