Uttarakhand : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में राज्य सेवा के कर्मचारियों के लिए पदोन्नति से जुड़ा अहम फैसला लिया गया। अब अर्हकारी सेवा में दोहरी शर्तों के कारण प्रमोशन से वंचित कर्मचारियों को शिथिलीकरण का लाभ मिलेगा। संशोधित नियमावली के अनुसार, एक सेवा से दूसरी सेवा में जाने वाले कर्मचारियों को भी अब पदोन्नति का लाभ दिया जाएगा। यह फैसला दीपावली से पहले कर्मचारियों को सरकार की ओर से एक बड़ी सौगात के रूप में देखा जा रहा है।
Uttarakhand : सुपरवाइजर पदों पर 50% पदों पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रमोशन
महिला एवं बाल विकास विभाग में अधीनस्थ सुपरवाइजर सेवा नियमावली में भी संशोधन को मंजूरी मिली है। अब सुपरवाइजर के 50 प्रतिशत पद आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से और शेष 50 प्रतिशत पद सीधी भर्ती से भरे जाएंगे। पहले 40 प्रतिशत पदों पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और 10 प्रतिशत पर मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की पदोन्नति होती थी। लेकिन अब केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को उच्चीकृत किया जाएगा, जिससे उनके प्रमोशन के रास्ते खुल सकेंगे।
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Uttarakhand : स्वास्थ्य कर्मचारियों को स्थानांतरण की सुविधा, सत्रावसान और फ्रीज ज़ोन में राहत
कैबिनेट ने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में कार्यरत कर्मचारियों को भी बड़ी राहत दी है। अब पांच साल की सेवा पूरी करने के बाद स्वास्थ्य कार्यकर्ता और पर्यवेक्षक पूरे सेवाकाल में एक बार किसी अन्य जिले में स्थानांतरित हो सकेंगे। हालांकि, नए जिले में उन्हें सबसे जूनियर माना जाएगा। वहीं विधानसभा सत्रावसान के पूर्व फैसले को भी कैबिनेट ने स्वीकृति दे दी। रायपुर क्षेत्र में विधानसभा परिसर निर्माण को लेकर घोषित फ्रीज ज़ोन में अब आंशिक संशोधन करते हुए छोटे घरों और दुकानों के निर्माण की अनुमति दी गई है, जिसके मानक आवास विकास विभाग तय करेगा।
Uttarakhand : यूसीसी में संशोधन, विशेष सत्र और सार्वजनिक क्षेत्र के निगमों पर नई व्यवस्था
कैबिनेट ने समान नागरिक संहिता (UCC) के तहत ऑनलाइन विवाह पंजीकरण के नियमों में भी संशोधन को मंजूरी दी है। अब आधार कार्ड के अतिरिक्त नेपाल, भूटान और तिब्बती मूल के लोगों के लिए वैकल्पिक दस्तावेज भी मान्य होंगे। वहीं, राज्य स्थापना की रजत जयंती के अवसर पर नवंबर के पहले सप्ताह में दो दिवसीय विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित किया जाएगा, जिसकी तिथि तय करने के अधिकार मुख्यमंत्री को दिए गए हैं। साथ ही, अब सार्वजनिक क्षेत्र के निगमों को टैक्स के बाद हुए शुद्ध लाभ का 15 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार को देना अनिवार्य होगा, जो पहले कुल संपत्ति के आधार पर दिया जाता था।

