Supreme Court ने राष्ट्रपति को बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर विचार करने का निर्देश दिया

Supreme Court  ने बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर राष्ट्रपति से दो सप्ताह के भीतर विचार करने का आग्रह किया है। राजोआना को 1995…

Supreme Court ने राष्ट्रपति को बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर विचार करने का निर्देश दिया

Supreme Court  ने बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर राष्ट्रपति से दो सप्ताह के भीतर विचार करने का आग्रह किया है। राजोआना को 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति सचिव को निर्देश दिया है कि वह दया याचिका राष्ट्रपति के समक्ष विचार के लिए पेश करें। अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी।

कोर्ट ने राष्ट्रपति से दो सप्ताह में बलवंत सिंह की दया याचिका पर विचार करने का भी आग्रह किया है। बता दें कि 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या हुई थी।

 

 Supreme Court  मामले में अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी।

न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति पी के मिश्रा और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने राष्ट्रपति से दो सप्ताह के भीतर याचिका पर विचार करने का अनुरोध किया।

पीठ ने कहा कि आज मामला विशेष रूप से रखे जाने के बावजूद भारत सरकार की ओर से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ। पीठ केवल इस मामले के लिए एकत्र हुई थी।

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Supreme Court ने कहा कि पिछली तारीख पर मामले को स्थगित कर दिया गया था

ताकि संघ राष्ट्रपति के कार्यालय से निर्देश ले सके कि दया याचिका पर कब तक निर्णय लिया जाएगा।

यह ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता मृत्युदंड की सजा काट रहा है, हम सचिव को निर्देश देते हैं कि वे भारत के राष्ट्रपति के समक्ष रखें और उनसे आज से दो सप्ताह के भीतर इस पर विचार करने का अनुरोध करें।

25 सितंबर को शीर्ष अदालत ने बलवंत सिंह राजोआना की याचिका पर केंद्र, पंजाब सरकार और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासन से जवाब मांगा था।

पिछले साल 3 मई को सुप्रीम कोर्ट ने बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा को कम करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि सक्षम प्राधिकारी उसकी दया याचिका पर विचार कर सकते हैं।

राजोआना ने कहा है कि मार्च 2012 में उनकी ओर से शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) द्वारा संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत एक दया याचिका दायर की गई थी।

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