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बलिदानी मोहित को नमन..पिता ने कंपकंपाते हाथों से बेटे को दी सलामी…फिर दी मुखाग्नि,

बलिदानी मोहित को नमन..पिता ने कंपकंपाते हाथों से बेटे को दी सलामी…फिर दी मुखाग्नि,

जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान बलिदान हुए मोहित राठौर (25) हर आंख को नम कर गए। देश की रक्षा के लिए बलिदान हुए सेना के जवान मोहित राठौर की शौर्यगाथा से बदायूं जिला गूंज उठा। रविवार को उनके अंतिम दर्शन के लिए हाथों में तिरंगा और पुष्प लेकर जिले के विभिन्न हिस्सों के लोग गांव तक पहुंचे। अंतिम विदाई के दौरान बलिदानी की पत्नी और बहनें रो-रोकर बेसुध हो गईं। परिजनों ने किसी तरह उन्हें संभाला। सैन्य सम्मान के साथ बलिदानी को सलामी दी गई और फिर अंतिम संस्कार हुआ।

 

 

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पिता नत्थू सिंह राठौर ने बहादुर बेटे को मुखाग्नि दी। हजारों लोगों के साथ जनप्रतिनिधि और जिले के आला अधिकारियों ने नमन कर पुष्पांजलि अर्पित की। इस्लामनगर क्षेत्र के गांव सभानगर में बलिदानी मोहित राठौर के अंतिम दर्शन के लिए हजारों लोगों की भीड़ जुटी। युवा हाथों में तिरंगा लेकर भारत माता की जय और शहीद मोहित राठौर अमर रहें के नारे लगा रहे थे। इस्लामनगर से उनके गांव तक पुष्पवर्षा कर शहीद को श्रद्धांजलि दी गई।

गम और गर्व के माहौल में सेना के जवान तिरंगे में लिपटे बलिदानी मोहित राठौर का पार्थिव शरीर लेकर सभानगर गांव पहुंचे तो हर कोई रो पड़ा। पति का शव देखकर पत्नी रूचि बेहोश हो गई। बहनें भी बेसुध हो गईं। पिता नत्थूलाल सिंह बदहवास हो गए। परिजनों ने इन लोगों को संभाला।

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बहनें भाई के पार्थिव शरीर से लिपटकर बिलखने लगीं। रोते हुए बोलीं, अब हम किसे राखी बांधेंगे। वहीं मोहित की पत्नी रूचि को जैसे ही होश आया तो वह पार्थिव शरीर को लिपटकर बिलखने लगीं। इस दृश्य ने हर किसी के दिल को झकझोर दिया। लोगों ने फूल बरसाकर बलिदानी जवान मोहित को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद पार्थिव शरीर को अंत्येष्टि स्थल पर ले जाया गया, जहां सेना और पुलिस के जवानों ने बलिदानी मोहित राठौर को अंतिम सलामी दी।

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पिता नत्थू सिंह काफी देर तक अपलक बेटे के पार्थिव शरीर को निहारते रहे। फिर कंपकंपाते हाथों से सलामी दी। इसके बाद उसकी चिता को मुखाग्नि। इस दौरान पिता की आंखों से अश्रुधार बहने लगी। जिलाधिकारी निधि श्रीवास्तव और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बृजेश कुमार सिंह समेत तमाम नेता भी बलिदानी जवान मोहित राठौर की अंतिम यात्रा में शामिल हुए। इन लोगों ने पीड़ित परिजनों को ढांढस बंधाया।

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