Ravi Shankar Prasad ने की शिवकुमार की तीखी आलोचना

नयी दिल्ली: भाजपा के वरिष्ठ सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री Ravi Shankar Prasad ने यहां पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस पार्टी की तुष्टीकरण की राजनीति पर हमला बोला। Ravi Shankar Prasad  ने कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के संविधान में बदलाव को लेकर दिए गए बयान की कड़ी आलोचना की और सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस आरक्षण नीति में बदलाव करना चाहती है?

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आरक्षण नीति बदलने के लिए संविधान में परिवर्तन करने संबंधी कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के बयान की आज आलोचना की और भाजपा पर संविधान बदलने का आरोप लगाने वाले खुद संविधान बदलने का दावा किया है।

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Ravi Shankar Prasad  ने कांग्रेस आलाकमान से डीके शिवकुमार के बयान और औरंगजेब के मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने की मांग की। श्री प्रसाद ने कहा कि सच्चाई अपने आप सामने आ जाती है। पिछले दो-तीन साल से कांग्रेस का भाजपा पर आरोप है कि हम संविधान बदल देंगे और पिछले लोकसभा चुनाव में उनकी एकमात्र ‘थीम’ यही थी, जो बिल्कुल झूठ पर आधारित थी और एक भ्रामक प्रचार था।

Ravi Shankar Prasad संविधान में बदलाव को लेकर दिए गए बयान की कड़ी आलोचना की

कांग्रेस पार्टी ने अभियान चलाया था कि यदि भाजपा को पूर्ण बहुमत या 400 सीटें मिलती हैं, तो वे संविधान बदल देगी। लेकिन भाजपा ने बार-बार स्पष्ट किया है कि हम संविधान नहीं बदलेंगे और हमने बदला भी नहीं। भाजपा ने संविधान में संशोधन कर सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया और इस कदम का सभी ने समर्थन भी किया।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अब कांग्रेस मुस्लिम तुष्टीकरण पर उतारू हो गई है। कांग्रेस द्वारा मुस्लिम तुष्टीकरण विषय पर चर्चा करने से पहले कुछ ऐतिहासिक संदर्भ देना जरूरी है ताकि कांग्रेस पार्टी का असली चेहरा सामने लाया जा सके। शाहबानो केस में लगभग 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला का मामला था, जिसे उसके पति द्वारा भरण-पोषण नहीं दिया जा रहा था।

उसने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत न्याय की गुहार लगाई। अदालत ने भरण-पोषण देने का आदेश दिया, जिसे उच्च न्यायालय ने भी बरकरार रखा। उसका पति एक बैरिस्टर था और उसने उच्चतम न्यायालय तक इस फैसले को चुनौती दी। सर्वोच्च अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 का उद्देश्य किसी भी पत्नी को भरण-पोषण देना है और यह धर्मनिरपेक्ष है।

Ravi Shankar Prasad शिवकुमार के बयान और औरंगजेब के मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने की मांग की

लेकिन इस फैसले के बाद इतना बड़ा विवाद खड़ा हुआ कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने दबाव में आकर इस निर्णय को पलट दिया। यह इतिहास हमें याद दिलाता है कि किस तरह कांग्रेस ने तुष्टीकरण की राजनीति के चलते महिलाओं के अधिकारों को कुचला। इसी संदर्भ में देश में तीन तलाक को समाप्त करने का कानून लाया गया।

Ravi Shankar Prasad ने कहा कि तीन तलाक की प्रथा आज पाकिस्तान, बंगलादेश, जॉर्डन, मलेशिया, इंडोनेशिया और सीरिया में भी सीमित हो चुकी है, क्योंकि यह एक बेहद अनुचित प्रथा मानी जाती है। यह लगभग महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसा है। उच्चतम न्यायालय ने शायरा बानो केस में इसे असंवैधानिक करार दिया था और कहा था कि यह इस्लाम की शिक्षाओं के अनुरूप भी नहीं है।

इस मुद्दे पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि अदालत इस पर फैसला न दे, बल्कि वे खुद सुनिश्चित करेंगे कि नए निकाहनामे में पति यह लिखकर देगा कि वह तीन तलाक नहीं देगा। इसके बावजूद, देशभर में इस प्रथा के खिलाफ व्यापक अभियान चला।

लेकिन जब संसद में इसे खत्म करने के लिए कानून लाया गया, तब कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी जैसी महिला नेताओं ने भी महज वोट बैंक की राजनीति के कारण इसका विरोध किया। यह दिखाता है कि कुछ बड़े राजनीतिक दलों की महिला नेता भी महिलाओं के हित में बनाए गए कानूनों के खिलाफ खड़ी हो जाती हैं, सिर्फ इसलिए कि उनके वोट प्रभावित न हों।

इसी संदर्भ में एक और मामला उठता है, अभी तक अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में एससी-एसटी को आरक्षण नहीं मिला है, और यह मामला अदालत में विचाराधीन है। यह गंभीर सवाल खड़ा करता है कि देश किस दिशा में जा रहा है। भाजपा के वरिष्ठ नेता Ravi Shankar Prasad ने कहा कि कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार का बयान भी चर्चा में आया।

Ravi Shankar Prasad ने एक समाचार चैनल के शिखर सम्मेलन में कहा कि मुस्लिम आरक्षण को लेकर बड़ी बहस चल रही है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा नेता अक्सर मुसलमानों के बारे में अपमानजनक बातें कहते हैं, जबकि सरकार की जिम्मेदारी समाज के हर वर्ग को आगे लाने की है।

डी.के. शिवकुमार ने यह भी कहा कि कई संवैधानिक बदलाव और अदालती फैसले समय के साथ संविधान में परिवर्तन लाते रहे हैं, इसलिए हमें देखना होगा कि अदालत क्या निर्णय देती है। बाद में जब इस बयान पर विवाद हुआ, तो उन्होंने सफाई दी कि उनका मतलब संविधान बदलने से नहीं था, बल्कि उनके बयान को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया। लेकिन मूल बयान रिकॉर्ड में मौजूद है, जिससे यह सवाल उठता है कि आखिर ये लोग कहाँ तक जाएंगे?

Ravi Shankar Prasad ने कहा कि भारत के संविधान में धर्म आधारित आरक्षण की अनुमति नहीं है। बाबासाहेब डॉ भीम राव अंबेडकर की सोच भी यही थी, जिसे हमने कई बार दोहराया है और अभी भी कह रहे हैं। आरक्षण केवल आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर दिया जा सकता है, लेकिन सरकार सीधे 4 प्रतिशत मुस्लिमों को आरक्षण दे रही है, वह भी सरकारी ठेके में। यह पूरी तरह से गैरकानूनी और असंवैधानिक है।

मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति में यह एक-दूसरे को पछाड़ने की होड़ कहां तक जाएगी। भाजपा इसकी कड़ी आलोचना करती है।

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