सुप्रीम कोर्ट द्वारा बेअदबी मामलों में Panjab और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई रोक को हटाने के कुछ दिनों बाद आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह पर मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है।
बेअदबी की ये घटनाएं फरीदकोट में 2015 में हुई थीं। भगवंत मान की Panjab सरकार ने डेरा के तीन राष्ट्रीय समिति सदस्यों प्रदीप कलेर, हर्ष धुरी और संदीप बरेटा पर भी मुकदमा चलाने की भी अनुमति दे दी है।
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Panjab धुरी और बरेटा अभी फरार हैं।
कलेर को इस साल की शुरुआत में गिरफ्तार किया गया था।पंजाब पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) द्वारा एडीजीपी सुरिंदर पाल सिंह परमार के नेतृत्व में आईपीसी की धारा 295-ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) के तहत राम रहीम पर मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगने के ढाई साल से अधिक समय बाद यह कदम उठाया गया है।
आईपीसी की धारा 295-ए के तहत किसी पर भी मुकदमा चलाने के लिए राज्य सरकार की मंजूरी की आवश्यकता होती है।
बरगाड़ी गांव में गुरुद्वारे के पास एक बीर (गुरु ग्रन्थ साहिब की प्रति) के फटे पन्ने मिले थे। 25 सितंबर 2015 को दर्ज एफआईआर-117 में बरगाड़ी और बुर्ज जवाहर सिंह वाला गांवों में गुरुद्वारों के पास दीवारों पर तीन अपमानजनक पोस्टर चिपके पाए गए थे।
Panjab सरकार के गृह विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है,
“प्रदीप क्लेर को 16 फरवरी 2024 को गिरफ्तार किया गया था और सीआरपीसी की धारा 164 के तहत अपने बयान में क्लेर ने स्वीकार किया कि डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह उस दौरान हुई सभी बेअदबी की घटनाओं में शामिल था।”
Panjab गृह मंत्रालय के सचिव गुरकीरत कृपाल सिंह ने कहा, “सीआरपीसी की धारा 173 के तहत प्रस्तुत रिपोर्ट और सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के तहत बयानों सहित रिकॉर्ड का निरीक्षण करने के बाद मैं संतुष्ट हूं कि आरोपियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है।
आरोपियों पर आईपीसी की धारा 295-ए और 120बी (अपराध करने के लिए आपराधिक साजिश में शामिल होना) के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दी जाती है
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