चंडीगढ़/लुधियाना Punjab Government ने पंजाब में सक्रिय राशन माफिया की कमर तोड़ते हुए राज्य में वर्षों पुरानी चली आ रही प्रथा पर नकेल कसी है प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक सरकार द्वारा जहां 6000 से अधिक डिपुओ पर अनाज की चल रही सप्लाई को तुरंत प्रभाव से रद्द किया गया है, वही एक राशन डिपो पर 200 से अधिक राशन कार्ड नही लगाने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।
Punjab Government जरूरतमंद और गरीब परिवारों के अधिकार उनके रसोई घरों तक पहुंचने की उम्मीद की किरण भी जाग उठी है
Punjab Government द्वारा की गई इस पहल कदमी से जहां पंजाब भर में सरकारी अनाज की हो रही कालाबाजारी का गंदा खेल खत्म होने की संभावनाएं बड़ी है वही जरूरतमंद और गरीब परिवारों के अधिकार उनके रसोई घरों तक पहुंचने की उम्मीद की किरण भी जाग उठी है। असल में पंजाब के अधिकतर जिलों एवम शहरों में दबंग डिपो होल्डरों द्वारा विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ सैटिंग कर जहां एक साथ दर्जनों राशन डिपो की सप्लाई अटैच कर उपभोक्ताओं को अनाज बांटने के नाम पर गेहूं की कालाबाजारी करने का बड़ा नेटवर्क चलाया जा रहा है,
वही केंद्र सरकार की नैशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट योजना के तहत निर्धारित किए गए सभी नियमों एवं शर्तों का खुलकर जनाजा निकलते हुए अपने डिपुओ पर कई हज़ार राशन कार्डों के हिस्से का अनाज भी उतारा जा रहा है।17 साल की Manya Ralhan (मान्या रल्हण) ने किया पंजाब का नाम रोशन
Punjab Government गेहूं की जगह आटे की थैलियां मुहैया करवाई जाएगी।
ऑल इंडिया फेयर प्राइस शॉप डीलर्स फैडरेशन के राष्ट्रीय सचिव करमजीत सिंह अडेचा ने बताया कि सरकार द्वारा सभी राशन डिपुओ पर एक समान 200 राशन कार्ड लगाने के बाद बाकी रहते अन्य कार्ड धारकों को मार्कफेड कोऑपरेटिव सोसाइटी द्वारा चलाई जाने वालीं मॉडल फेयर प्राइस शॉप्स (एम.एफ.पी.एस) पर शिफ्ट कर गेहूं की जगह आटे की थैलियां मुहैया करवाई जाएगी। प्रधान कर्मजीत ने बताया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा पंजाब में 638 नए राशन डिपो मार्कफेड कोऑपरेटिव सोसाइटी के मार्फत खोले जा रहे हैं जिसकी शुरुआत संभावित 26 जनवरी को मुख्यमंत्री द्वारा की जाएगी।Official Webside PANJAB
उन्होंने दावा किया कि सरकार द्वारा शुरू की जा रही Punjab Government इस योजना के कारण राशन माफिया के गुर्गों में हड़कंप मचा हुआ है जिसमें बड़े स्तर पर खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के कथित नाम भी शामिल हैं जो कि पिछले कई वर्षों से सरकारी गेहूं की कालाबाजारी करने वाले डिपो होल्डरों के साथ सेटिंग कर अपनी जेब में गर्म कर रहे हैं और अब उन्हें ऊपरी तौर पर होने वाली काली कमाई बंद होने का खतरा सता रहा है।