जल संरक्षण में हो सबकी भागीदारी : Narendra Modi

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री Narendra Modi ने जल संरक्षण में सामूहिक योगदान की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा है कि इसके लिए गांव में परंपरागत तालाबों और जल केंद्रों का संरक्षण कर वर्षा के पानी को बेकार होने से बचाने के लिए सामूहिक अभियान चलाने का सबको प्रयास करना चाहिए।

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Narendra Modi ने रविवार को आकाशवाणी से प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 120वीं कड़ी के प्रसारण के दौरान देश की जनता से यह अपील करते हुए कहा कि जो संसाधन प्रकृति ने हमें दिए हैं उन्हें हम अपनी अगली पीढ़ी तक पहुंचाएं और यह हम सबका नैतिक दायित्व भी होना चाहिए।

Narendra Modi ने कहा, “गर्मी का मौसम शुरू होते ही शहर-शहर, गांव-गांव, पानी बचाने की तैयारियां भी शुरू हो जाती हैं| अनेक राज्यों में जल संरक्षण से जुड़े कामों ने नयी तेजी पकड़ी है। जलशक्ति मंत्रालय और अलग-अलग स्वयंसेवी संस्थाएं इस दिशा में काम कर रही हैं।

Narendra Modi जो प्राकृतिक संसाधन हमें मिले हैं, उसे हमें अगली पीढ़ी तक सही सलामत पहुंचाना 

देश में हजारों कृत्रिम तालाब, चेकडैम, बोरवेल रिचार्ज, सामुदायिक सोकपिट का निर्माण हो रहा है। हर साल की तरह इस बार भी ‘कैच द रेन’ अभियान के लिए कमर कस ली गई है। ये अभियान भी सरकार का नहीं बल्कि समाज का है, जनता-जनार्दन का है। जल संरक्षण से ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को जोड़ने के लिए जल संचय जन-भागीदारी अभियान भी चलाया जा रहा है। प्रयास यही है कि जो प्राकृतिक संसाधन हमें मिले हैं, उसे हमें अगली पीढ़ी तक सही सलामत पहुंचाना है।”

प्रधानमंत्री Narendra Modi ने कहा “बारिश की बूंदों को संरक्षित करके हम बहुत सारा पानी बर्बाद होने से बचा सकते हैं। पिछले कुछ सालों में इस अभियान के तहत देश के कई हिस्सों में जल संरक्षण के अभूतपूर्व कार्य हुए हैं। मैं आपको एक दिलचस्प आंकड़ा देता हूँ। पिछले 7-8 साल में नए बने टैंक, तालाब और अन्य जल भराव के के ढांचे से 11 अरब क्यूबिक मीटर से भी ज्यादा पानी का संरक्षण हुआ है।

अब आप सोचेंगे कि 11 अरब क्यूबिक मीटर कितना पानी होता है। भाखड़ा नांगल बांध में जो पानी जमा होता है, उसकी तस्वीरें तो आपने जरूर देखी होगी। ये पानी गोविंद सागर झील का निर्माण करता है। इस झील की लंबाई ही 90 किलोमीटर से ज्यादा है। इस झील में भी 9-10 अरब क्यूबिक मीटर से ज्यादा पानी संरक्षित नहीं हो सकता है।

सिर्फ 9-10 क्यूबिक मीटर पानी और देशवासियों ने अपने छोटे-छोटे प्रयास से, देश के अलग–अलग हिस्सों में 11 क्यूबिक मीटर पानी के संरक्षण का इंतजाम कर दिया है-है ना ये शानदार प्रयास।”

इस संदर्भ में Narendra Modiने कर्नाटक का एक उदाहरण देते हुए कहा “इस दिशा में कर्नाटका के गडग जिले के लोगों ने भी मिसाल कायम की है। कुछ साल पहले यहाँ के दो गाँव की झीलें पूरी तरह सूख गईं| एक समय ऐसा भी आया जब वहाँ पशुओं के पीने के लिए भी पानी नहीं बचा। धीरे-धीरे झील घास-फूस और झाड़ियों से भर गई|

लेकिन गाँव के कुछ लोगों ने झील को पुनर्जीवित करने का फैसला किया और काम में जुट गए। और कहते हैं ना, ‘जहां चाह-वहाँ राह’। गाँव के लोगों के प्रयास देखकर आसपास की सामाजिक संस्थाएं भी उनसे जुड़ गईं। सब लोगों ने मिलकर कचरा और कीचड़ साफ किया और कुछ समय बाद झील वाली जगह बिल्कुल साफ हो गई।

अब लोगों को इंतजार है बारिश के मौसम का। वाकई, ये ‘कैच द रेन’ अभियान का शानदार उदाहरण है। साथियो, आप भी सामुदायिक स्तर पर ऐसे प्रयासों से जुड़ सकते हैं। इस जन-आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए आप अभी से योजना जरूर बनाइये, और आपको एक और बात याद रखनी है – हो सके तो गर्मियों में अपने घर के आगे मटके में ठंडा जल जरूर रखिए| घर की छत पर या बरामदे में भी पक्षियों के लिए पानी रखिए। देखिएगा ये पुण्य कार्य करके आपको कितना अच्छा लगेगा।”

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