Haridwar में गंगा नदी का पानी लोग बोतलों से लेकर केन में भरकर घर लाते हैं, ताकि इसके शुद्ध पानी से घर को भी स्वच्छ किया जा सके। गंगाजल का उपयोग वर्षों से कई धार्मिक कार्यों में भी किया जाता है। गंगाजल से शुद्ध हिंदू धर्म में और कुछ नहीं है। मगर बीते कई वर्षों में ऐसी रिपोर्ट सामने आई है जिसमें कहा गया है कि गंगाजल में उपलब्ध वो बैक्टीरिया जो इसे पवित्र बनाते हैं, उनकी संख्या अब कम होती जा रही है।
इसी बीच उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की भी एक रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि Haridwar में गंगा नदी का पानी बी श्रेणी में पाया गया है। पीने के लिए ये पानी सुरक्षित नहीं माना जा सकता है। हालांकि इस पानी का उपयोग नहाने के लिए किया जा सकता है। गौरतलब है कि उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हर महीने हरिद्वार के आसपास करीब आठ स्थानों पर गंगा के पानी की जांच करता है।
हाल ही में किए गए परीक्षण के दौरान नवंबर महीने के लिए गंगा नदी का पानी ‘बी’ श्रेणी का पाया गया। नदी के पानी को पाँच श्रेणियों में बांटा गया है, जिसमें ‘ए’ सबसे कम जहरीला है, जिसका मतलब है कि पानी को कीटाणुरहित करने के बाद पीने के स्रोत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है और ‘ई’ सबसे जहरीला है।
पीने लायक नहीं रह गया है Haridwar का गंगाजल, रिपोर्ट में हुआ खुलासा
Haridwar में गंगा नदी का पानी लोग बोतलों से लेकर केन में भरकर घर लाते हैं, ताकि इसके शुद्ध पानी से घर को भी स्वच्छ किया जा सके। गंगाजल का …