Film Review:इस इमोशनल कहानी में है दम, केके मेनन के साथ आप फिल्म को भी करेंगे लव

Film Review इस इमोशनल कहानी में है दम, केके मेनन के साथ आप फिल्म को भी करेंगे लव
गिरजा शंकर अग्रवाल की रिपोर्ट –
निर्देशकः सुधांशु शर्मा
सितारे: केके मेनन, श्रीस्वरा दुबे, स्वास्तिका मुखर्जी, अर्क जैन, सुमित अरोड़ा
रेटिंग 3/5
Film Review: केके मेनन की फिल्म लव ऑल एक स्पोर्ट्स ड्रामा है.
बैडमिंटन कोर्ट की कहानी. लेकिन साथ ही इसमें एक परिवार है और पिता-पुत्र का इमोनशल उतार-चढ़ाव भी. यह खेलों में राजनीति पर भी कुछ बेहद जरूरी सवाल करती है. लव ऑल देखने योग्य फिल्म है, जो याद रह जाती है.
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Love All Movie Review: सवाल यह है कि जो नेता खेल के मैदान में उतर तक नहीं सकते, वे देश में इसके कर्णधार बन जाते हैं. कुश्ती से क्रिकेट तक खेल संघों की सत्ता संभालते हैं. कई बार उनके निजी स्वार्थ खेल और खिलाड़ी से बड़े हो जाते हैं. लव ऑल इसी मुद्दे की बात करती है, लेकिन इमोशनल कहानी के साथ. इसके केंद्र में देश में सबसे तेजी से लोकप्रिय हो रहा खेल बैडमिंटन है.
कहानी ऐसे बैडमिंटन चैंपियन सिद्धार्थ शर्मा (केके मेनन) की है, जिससे खेल की राजनीति करने वालों ने उसका उज्ज्वल भविष्य छीन लिया. सिद्धार्थ अब रेलवे में नौकरी करने वाला साधारण शख्स है. उसका छोटा-सा परिवार है. सिद्धार्थ नहीं चाहता कि उसका बेटा खेल के मैदान में भी उतरे. लेकिन कई बार नियति, निराले ही खेल रचती है.
Film Review अलग-अलग मिजाज
भोपाल ट्रांसफर होने के बाद सिद्धार्थ के बेटे आदित्य (अर्क जैन) का एडमीशन स्कूल में होता है. संयोग से यहां वह बैडमिंटन खेलना शुरू करता है. सिद्धार्थ को यह बात पता नहीं, परंतु मां जया (श्रीस्वरा दुबे) और सिद्धार्थ के बचपन का दोस्त विजू (सुमित अरोड़ा) आदित्य को सपोर्ट करते हैं. भोपाल में बैडमिंटन सब-जूनियर नेशनल चैंपियनशिप होती है. इससे पहले सिद्धार्थ को पता चल जाता है कि आदित्य बैडमिंटन खेलता है. अब पिता का क्या रुख होगाॽ यहां से कहानी का मिजाज बदलता है. लेखक-निर्देशक सुधांशु शर्मा ने लव ऑल पर मजबूत पकड़ रखी है. उन्होंने इसे कसावट के साथ लिखा और खूबसूरती से फिल्माया है.
Film Review सवाल जीने-मरने का
बीते कुछ समय में आम तौर पर स्पोर्ट्स बायोपिक सामने आई हैं. लव ऑल का लेवल अलग है. यह खेल में होने वाली राजनीति पर तीखे सवाल करती हुई, बताती है कि खिलाड़ी उससे कितने भावनात्मक ढंग से जुड़ा होता है. खेल उसके लिए खेल नहीं, बल्कि जीने-मरने का सवाल है. इस शिद्दत के बावजूद वह अपने अंदर इस भावना को बनाए रखता है कि सामने वाला प्रतिद्वंद्वि भी सिर्फ खिलाड़ी है, दुश्मन नहीं. राजनीति करने और जनता के पैसों से बनी इमारतों के फीते काटने वाले शायद इस बात को कभी नहीं समझ सकते.

Film Review कास्टिंग और एक्टिंग
लव ऑल की खूबसूरती इसके भावुक पक्ष के साथ, बैडमिंटन कोर्ट भी है. चैंपियनशिप के लीग स्तर के मैच हों या फाइनल, आपको लगता नहीं कि सामने अभिनय चल रहा है. आप महसूस करते हैं कि कोई राष्ट्रीय स्तर का मैच देख रहे हैं. लेकिन टीवी पर होने वाले टेलीकास्ट जैसा नहीं, बल्कि असली. सुधांशु शर्मा ने ऐक्टरों के रूप में असली खिलाड़ियों को लिया और इससे फिल्म का स्पोर्ट्स वाला हिस्सा आकर्षक बना है. जहां तक कास्टिंग और एक्टिंग की बात है, तो दोनों फिल्म को मजबूत बनाते हैं. केके मेनन की खूबी यही है कि फिल्म के हर फ्रेम में भले न दिखें, परंतु जब स्क्रीन पर आते हैं, मजबूत उपस्थिति दर्ज कराते हैं.
Film Review केके का संतुलन
टूटे-बिखरे सपनों को लेकर जीने वाले सिद्धार्थ के रूप में केके मेनन जितने सहज लगते हैं, उतने ही संतुलित वह उस पिता के रूप में दिखते हैं, जो बेटे के हक में लड़ने के लिए खड़ा होता है. श्रीस्वरा दुबे पत्नी और मां की भूमिका में सुंदर हैं. सिद्धार्थ की पूर्व प्रेमिका के रूप में स्वास्तिका मुखर्जी का किरदार छोटा होने के बावजूद असरकारी है. केके मेनन के साथ पर्दे पर उनकी एक ही मुलाकात है, लेकिन वह महत्वपूर्ण है. सुधांशु शर्मा ने इस ट्रेक को बेवजह न खींचकर, कहानी को फिल्म बनने से बचाया है. अर्क जैन बेटे और बैडमिंटन खिलाड़ी, दोनों ही रूपों में पर्दे पर सफल रहे हैं.
Film Review परिवार के साथ
लव ऑल वास्तव में एक पारिवारिक-स्पोर्ट्स ड्रामा है. जिसमें सुधांशु शर्मा ने खेल के साथ भावनाओं को भी खूब जगह दी है. कुछ मौके ऐसे भी आते हैं, जहां आपकी आंख नम हो जाती है. निश्चित रूप से इस फिल्म को आप परिवार के साथ देख सकते हैं. आप खुद भले न खेलते हों, परंतु इस कहानी से आपको दूरी महसूस नहीं होगी. ऐसी फिल्में कम बनती हैं. अगर यह फिल्म आपके शहर में लगी है, तो देख सकते हैं. वर्ना इस बात पर नजर रखें कि यह ओटीटी पर कब आएगी.