फैटी लिवर रोग: कारण, लक्षण और होम्योपैथी से उपचार – डॉ अमोल गुप्ता
आजकल बदलती जीवनशैली और असंतुलित खानपान के कारण फैटी लिवर रोग (Fatty Liver Disease) बहुत तेजी से बढ़ रहा है। सामान्यतः लिवर में थोड़ी-सी वसा होती है, लेकिन जब यह लिवर के कुल वजन का 5% से 10% तक पहुँच जाती है, तब समस्या शुरू होती है।शुरुआती अवस्था में यह रोग गंभीर नहीं होता, लेकिन लगभग 30% मामलों में यह आगे बढ़कर लिवर इंफ्लेमेशन (सूजन), फाइब्रोसिस (निशान पड़ना) और अंत में सिरॉसिस (Cirrhosis) का रूप ले सकता है।

बताते चलें डॉक्टर अमोल गुप्ता मेडिकल कॉस्मेटोलॉजिस्ट, जीर्ण एवं चर्म रोग विशेषज्ञ हैं।
लाइफस्टाइल व तनाव जन्य रोगों से जूझते हुए लोग दूर-दूर से आपके पास परामर्श व होम्योपैथिक चिकित्सा हेतु आते हैं। डॉक्टर साहब से हुई फैटी लीवर के बारे में लंबी बातचीत का कुछ सारांश इस प्रकार है; जैसा कि नीचे वर्णन कर रहे हैं।
फैटी लिवर के लक्षण:- अधिकतर मरीजों में फैटी लिवर के कोई लक्षण नहीं दिखाई देते। लेकिन जब रोग बढ़ता है तो इनमें से शिकायतें हो सकती हैं –
👉पेट के दाहिने ऊपरी हिस्से में दर्द या भारीपन
👉भूख न लगना, मितली और अचानक वजन घटना
👉पीलिया (त्वचा व आँखें पीली होना)
👉पेट और पैरों में सूजन
👉कमजोरी, थकान और मानसिक भ्रम
होम्योपैथी में उपचार:- होम्योपैथी को दुनिया भर में समग्र चिकित्सा पद्धति के रूप में अपनाया जा रहा है। इसमें रोगी के शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक पहलुओं को भी ध्यान में रखकर औषधि दी जाती है। फैटी लिवर में कई दवाएँ प्रभावी साबित हुई हैं, लेकिन दवा का चुनाव मरीज की व्यक्तिगत लक्षण-स्थिति पर निर्भर करता है।
प्रमुख दवाएँ:
👉Bryonia Alba – लिवर भारी, सूजा और दर्दयुक्त, आराम दाहिनी करवट लेटने से।
👉Chelidonium Majus – लिवर बढ़ा हुआ, दर्द दाहिने कंधे तक जाता है, गर्म पेय से आराम।
👉Cardus Marianus – लिवर के बाएँ हिस्से में संवेदनशीलता, सुनहरी रंग का पेशाब।
👉Calcarea Carbonica – मोटे, थुलथुले व्यक्तियों में; दूध न पचना, अंडों की असामान्य इच्छा।
👉Lycopodium Clavatum – थोड़ा खाने पर भी पेट फूलना, शाम 4–8 बजे तक तकलीफ ज़्यादा।
👉Nux Vomica – शराब, मसाले और दवाइयों से बिगड़ा लिवर, अपूर्ण मल त्याग।
👉Phosphorus – फैटी डिजनरेशन और सिरॉसिस में असरदार, ठंडी चीज़ों की इच्छा।
अन्य सहायक दवाएँ: Mercurius, Dolichos, Myrica, Podophyllum, Sulphur आदि।
सावधानियाँ और निष्कर्ष
फैटी लिवर रोग समय रहते नियंत्रण में आ सकता है। इसके लिए –
🍎संतुलित आहार लें, वसा और शराब से बचें।
🏃♂️ *नियमित व्यायाम करें।*
🧪समय-समय पर जाँच कराते रहें।
*और सबसे ज़रूरी –
👨⚕ होम्योपैथिक विशेषज्ञ की सलाह पर ही दवा लें।*
होम्योपैथी न केवल फैटी लिवर के लक्षणों में राहत देती है, बल्कि शरीर में आंतरिक संतुलन स्थापित कर रोग की प्रगति को रोकने में मदद करती है।
रिपोर्ट – जयकिशन सैनी (समर इंडिया)

