नयी दिल्ली: दिल्ली की Chief Minister Rekha Gupta ने कहा कि पूर्ववर्ती आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के दौरान ‘जय भीम मुख्यमंत्री प्रतिभा विकास योजना’ में हुई वित्तीय अनियमितता की जांच भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) करेगी।
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Chief Minister Rekha Gupta ने एक्स पर कहा “वर्ष 2020-21 में ‘आप’ सरकार की ओर से संचालित ‘जय भीम मुख्यमंत्री प्रतिभा विकास योजना’ में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं। इस योजना का बजट सिर्फ 15 करोड़ था लेकिन ‘आप’ सरकार ने 142 करोड़ से ज़्यादा के फर्ज़ी बिलों वाली फाइलों को आगे बढ़ा दिया।” उन्होंने कहा “आप ने दलितों के नाम पर सत्ता हथिया कर दलित बच्चों के भविष्य को लूटा है।
इन्होंने बाबा साहेब के आदर्शों का अपमान किया है और शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र को भी अपनी भ्रष्ट नीतियों से गंदा किया है। जिन दलित बच्चों को कोचिंग मिलनी थी उनके नाम पर बिना दस्तावेज़ के दावे, बिना हस्ताक्षर के आवेदन और कई संस्थानों के तो 100 प्रतिशत दावे ही फर्जी पाए गए।”
Chief Minister Rekha Gupta ने कहा “एसीबी अब इन वित्तीय अनियमितताओं की जांच करेगी। बहुत जल्द दूध का दूध और पानी का पानी होगा। बाबा साहब के नाम पर भ्रष्टाचार करने वाली आम आदमी पार्टी को पाई-पाई का हिसाब देना होगा।” उन्होंने कहा कि ‘आप’ की राजनीति हमेशा दलितों के नाम पर दिखावा करती रही है लेकिन जब जिम्मेदारी निभाने की बारी आई तो उन्हीं के हक़ पर डाका डालने से भी नहीं चूकी। अब इनका असली चेहरा जनता के सामने आएगा।
दिल्ली के गृह एवं शिक्षा मंत्री आशीष सूद और समाज कल्याण मंत्री रविन्द्र इंद्राज सिंह ने बुधवार को संयुक्त संवादाता सम्मेलन कर पूर्ववर्ती सरकार पर जय भीम मुख्यमंत्री प्रतिभा विकास योजना के नाम पर कोविड काल के दौरान 145 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया। श्री सूद ने कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री की संस्तुति पर दिल्ली के उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने एसीबी को जांच के आदेश दिए हैं।
श्री सूद ने कहा कि भारत रत्न बाबा साहेब आंबेडकर का चित्र लगाकर राजनीति करने वाली आप अपने प्रतीकों के अपमान से बाज नहीं आती। इसी क्रम में जय भीम मुख्यमंत्री प्रतिभा विकास योजना में घोटाले का नया मामला सामने आया है।
Chief Minister Rekha Gupta एसीबी अब इन वित्तीय अनियमितताओं की जांच करेगी
श्री इन्द्राज ने कहा कि यह योजना दलित छात्रों को उच्च शिक्षा का अवसर देने और करियर बनाने हेतु शुरू की गई थी, लेकिन पूर्ववर्ती सरकार ने इस पवित्र उद्देश्य को भी भ्रष्टाचार से लिप्त कर दिया। इस घोटाले में लगभग 35 निजी संस्थान संलिप्त पाए गए हैं, जिनके पास 100 छात्रों की भी पुष्टि योग्य जानकारी नहीं है।

