एलर्जिक राइनाइटिस के लक्षणों को ट्रिगर कर सकता है बदलता मौसम, बचना है तो इन 5 चीजों का हमेशा रखें ध्यान:- डॉ.अमोल गुप्ता

एलर्जिक राइनाइटिस के लक्षणों को ट्रिगर कर सकता है बदलता मौसम, बचना है तो इन 5 चीजों का हमेशा रखें ध्यान:- डॉ.अमोल गुप्ता मौसम में आने वाले बदलाव के चलते …

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एलर्जिक राइनाइटिस के लक्षणों को ट्रिगर कर सकता है बदलता मौसम, बचना है तो इन 5 चीजों का हमेशा रखें ध्यान:- डॉ.अमोल गुप्ता
मौसम में आने वाले बदलाव के चलते एलर्जी राइनाइटिस यानि हे फीवर की समस्या बढ़ने लगती है। तापमान में आने वाले उतार चढ़ाव से लेकर कई कारणों से बढ़ने वाली एलर्जी को नियंत्रित करने के लिए इन टिप्स को करें फॉलो।

जानते हैं एलर्जिक राइनाइटिस क्या है और इससे कैसे बचें

नाक में जलन, बार बार छींकना और आंखों में पानी एलर्जी के कुछ ऐसे लक्षण है, जो मौसम में आने वाले बदलाव के साथ बढ़ने लगते हैं। हवा में पाए जाने वाले पॉल्यूटेंटस इस समस्या को इस कदर बढ़ा देते हैं कि इससे सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या से भी गुज़रना पड़ता है।ऐसी ही एक समस्या है एलर्जिक राइनाइटिस, जो मौसम बदलने के साथ लोगों को प्रभावित करती है। इससे एलर्जी का खतरा शरीर में बढ़ने लगता है।

जानते हैं एलर्जिक राइनाइटिस क्या है और इससे कैसे बचें

एलर्जिक राइनाइटिस किसे कहते हैं।
डॉ अमोल गुप्ता के अनुसार एलर्जिक राइनाइटिस उस स्थिति को कहते है, जब आपकी नाक में इरिटेशन महसूस होने लगती है, जिससे एलर्जी की समस्या बढ़ जाती है। फूल पत्तों के कण, धूल मिट्टी और किसी प्रदूषकों के कारण ये समस्या बढ़ती है। मौसम में आने वाले बदलाव के चलते हवा में मौजूद पॉल्यूटेंटस से होने वाली एलर्जी की समस्या को एलर्जिक राइनाइटिस कहा जाता है।

अमेरिकन एकेडमी ऑफ एलर्जी, अस्थमा एंड इम्यूनोलॉजी के अनुसार दुनिया भर की आबादी के 10 से लेकर 30 फीसदी आबादी में एलर्जिक राइनाइटिस का जोखिम बढ़ने लगता है, जो मौसम में बदलाव के साथ बढ़ती है।एलर्जी राइनाइटिस की समस्या क्यों बढ़ती है।

मौसम में आने वाले बदलाव के चलते हवा में मौजूद पॉल्यूटेंटस से होने वाली एलर्जी की समस्या को एलर्जिक राइनाइटिस कहा जाता है।कैसे बढ़ती है एलर्जिक राइनाइटिस की समस्या

_डॉ. राम निवास गुप्ता अस्पताल सहसवान में होम्योपैथिक फीज़िशियन डॉ अमोल गुप्ता के अनुसार_एलर्जिक राइनाइटिस एक ऐसी मौसमी एलर्जी है, जो शरीर के लिए हानिरहित है। पेड़ पौधों से झड़ने वाला पराग और हवा में मौजूद कण इस समस्या को बढ़ा देते है। इसे हे फीवर के नाम से भी जाना जाता है। इसके चलते बार बार छींकना, खांसी, आंखों में पानी, स्टफी नोज़ और जलन की समस्या बनी रहती है। लगातार इस प्रकार की एलर्जी के संपर्क में आने से शरीर में कमज़ोरी और मांसपेशियों में ऐंठन की समस्या बनी रहती है।

जानें एलर्जिक राइनाइटिस के लक्षण
इसके चलते व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है

गले में खराश महसूस होती है और खांसी की समस्या बढ़ने लगती है।

आंखों का लाल हो जाना और आंखों से पानी का बहना इस समस्या को दर्शाता है।

नाक में खुजली और पानी का भरना, जिससे इरिटेशन महसूस होने लगती है।हर पल शारीरिक थकान महसूस होना और सिर में दर्द की शिकायत का बढ़ना

एलर्जी से बचने के लिए इन टिप्स को फॉलो करें
1. घर की साफ सफाई का रखें ख्याल
धूल मिट्टी के कणों से होने वाली एलर्जी से बचने के लिए वैक्यूम क्लीनर से फ्लोर, खिड़कियों और अन्य सामान को नियमित रूप से साफ रखें। इससे मिट्टी जमने का खतरा कम होने लगता है।

2. पालतू जानवरों के नज़दीक न जाएं
पैट्स के नज़दीक जाने से बचें। उनके बाल और रूसी एलर्जी की समस्या को बढ़ाने लगते हैं। ऐसे में जानवरों को नियमित तौर पर नहलाएं और उन्हें अपने साथ सुलाने से परहेज करें।पैट्स के नज़दीक जाने से बचें। उनके बाल और रूसी एलर्जी की समस्या को बढ़ाने लगते हैं।
3. गर्म पेय पदार्थ पीएं
शरीर के इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाने के लिए जड़ी बूटियों का इस्तेमाल करके काढ़ा बनाएं और उसका सेवन करें। इससे खांसी, जुकाम, कफ और पॉल्यूटेंटस के खतरे से मुक्ति मिल जाती है। शरीर एक्टिव बना रहता है।

4. विटामिन सी का सेवन
ऐसे मौसमी फलों का सेवन करें, जिससे शरीर में विटामिन सी की कमी को पूरा किया जा सके। इससे शरीर पर पॉल्यूटेंटस का प्रभाव कम होने लगता है। शरीर एक्टिव और हेल्दी बना रहता है। आहार में आंवला, संतरा, पपीता, लाल शिमला मिर्च और अमरूद को शामिल करें। इससे शरीर एलर्जी के प्रभाव से मुक्त रहती है।

5. खुद को कवर करके बाहर निकलें
एलर्जी के संपर्क में आने से बचने के लिए हाथों, पैरों और सिर को ढ़ककर बाहर निकलें। इससे पर्यावरण में पाए जाने वाले पराग के कण शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। दरअसल, सिर पर कणों के चिपकने से वो शरीर को प्रभावित करते हैं। ऐसे में बाहर से आने पर हेयरवॉश अवश्य करें।

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