चंडीगढ़,। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता Bhupinder Singh Hooda ने पंजाब कांग्रेस कार्यालय का दौरा किया। उन्होंने कांग्रेस के विधायकों से मुलाकात की और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। उन्होंने पंजाब और हरियाणा को भाई-भाई बताया।
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Bhupinder Singh Hooda ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि पंजाब और हरियाणा बड़े भाई-छोटे भाई हैं। मैं यहां बचपन से आता रहा हूं। हुड्डा ने पंजाब-हरियाणा के बीच रिश्तों का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों प्रदेश हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़े रहते हैं। इसके अलावा, हुड्डा ने पंजाब विधानसभा में पेश किए गए प्रस्ताव पर भी अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि पंजाब कांग्रेस द्वारा विधानसभा में लाए गए प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया जाना चाहिए था। यह एक महत्वपूर्ण कदम था, जो राज्य की बेहतरी के लिए आवश्यक था। हुड्डा ने आगे कहा कि सरदार भगत सिंह के नाम पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए। उनके योगदान को हमेशा सम्मानित किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उनकी यादें हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहें।
Bhupinder Singh Hooda पंजाब कांग्रेस द्वारा विधानसभा में लाए गए प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया जाना चाहिए था
प्रेस कॉन्फ्रेंस में पंजाब विधानसभा के नेता विपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि उन्होंने शहीद-ए-आजम भगत सिंह को भारत रत्न देने की मांग की। मैंने इस पर प्रस्ताव लाने की मांग की थी। लेकिन, इससे पहले आम आदमी पार्टी का प्लान था और मुझे लगता है कि अरविंद केजरीवाल का संदेश आया हुआ था। जब मैंने बोलना शुरू किया तो सदन में शोर-शराबा शुरू हो गया।
प्रदेश के विकास के मुद्दे पर बाजवा ने कहा कि पंजाब में विकास के लिए इंजीनियरिंग कॉलेजों पर तकनीकी दृष्टिकोण से काम करना होगा, ताकि कोई ठोस और स्थायी मॉडल तैयार किया जा सके।
इससे पहले Bhupinder Singh Hooda ने हरियाणा विधानसभा में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी और महंगी होती शिक्षा का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि स्कूल में बच्चों को जो किताब 50 रुपए में मिलनी चाहिए, उसे प्राइवेट स्कूल 150 रुपए में देते हैं और मनमानी फीस लेते हैं।
इस बात की जांच होनी चाहिए कि प्राइवेट स्कूल बच्चे को किस कीमत पर किताब दे रहे हैं और सरकारी स्कूल में वही किताब किस दर पर मिलती है। सरकारी स्कूल में शिक्षक नहीं हैं, इसलिए आम गरीब को मजबूरी में प्राइवेट स्कूलों में जाना पड़ता है। शिक्षा इतनी महंगी हो गई है कि आम गरीब को कर्ज लेकर अपने बच्चों को पढ़ाना पड़ता है।