SAMAR INDIA,हरियाणा में लगातार दो बार सरकार चलाने के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) सूबे के चुनावी इतिहास का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटी है.
बीजेपी ने सूबे में सरकार गठन की कवायद तेज कर दी है. शपथग्रहण के लिए पहले 12, फिर 15 के बाद अब 17 अक्टूबर की तारीख मुकर्रर की जा चुकी है और इससे एक दिन पहले 16 अक्टूबर को पार्टी विधायकों की बैठक भी बुला ली गई है
जिसमें विधायक दल का नया नेता चुना जाएगा. विधायक दल की बैठक के लिए बीजेपी ने गृह मंत्री अमित शाह और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को पर्यवेक्षक बनाया है.
अमित शाह अमूमन चुनावी राज्यों में संगठन से रणनीति तक, BJP के पेच दुरुस्त करने का दायित्व निभाते आए हैं.
यूपी जैसे बड़े राज्य में 2017 में पूर्ण बहुमत के साथ कमल खिलाने का श्रेय भी अमित शाह को दिया जाता है लेकिन ‘चुनावी चाणक्य’ की भूमिका इस बार उस राज्य में सीएम चुनने की होगी जिस राज्य में पार्टी बड़ी जीत के साथ लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है.
अमित शाह जैसे हैवीवेट नेता को पर्यवेक्षक बनाए जाने के बाद अटकलों का बाजार भी गर्म हो गया है. बात इसे लेकर भी हो रही है कि क्या अमित शाह को हरियाणा की फैक्शनल फाइट कंट्रोल करने के लिए पर्यवेक्षक बनाया गया है या पार्टी फिर से कोई सरप्राइजिंग फेस लाने की तैयारी में है
BJP गुटबाजी हरियाणा में हर दल की समस्या रही है.
हरियाणा BJP भी इससे अछूती नहीं है. हरियाणा बीजेपी में दो मुख्य गुट हैं. एक कैडर का और दूसरा बाहर से आए नेताओं का जिनमें राव इंद्रजीत से लेकर श्रुति चौधरी और कुलदीप बिश्नोई जैसे नेताओं के नाम हैं.
अनिल विज, मनोहर लाल खट्टर के भी अपने गुट हैं. खट्टर सरकार में गृह मंत्री रहे अनिल विज यहां तक कह चुके हैं कि अब सीएम हाउस में मुलाकात होगी. अनिल विज की इमेज अक्खड़ नेता की है. विज तब विधायक दल की बैठक से बीच में ही बाहर निकल गए थे जब नायब सिंह सैनी को विधायक दल का नेता चुना गया था.
BJPनेतृत्व नहीं चाहता कि फिर से वैसी नौबत आए और सरकार गठन से पहले ही किसी तरह का बखेड़ा खड़ा हो, पार्टी में गुटबाजी या विधायकों के बीच मतभेद की खबरें बैठक से बाहर आएं. राव इंद्रजीत ने सरकार गठन की कवायद के बीच अहीरवाल रीजन के आठ विधायकों से मुलाकात की है
जिसे BJP पार्टी आलाकमान को ताकत दिखाने जैसा बताया जा रहा है. राव इंद्रजीत ने अहीरवाल की 11 में से आठ सीटों पर अपनी बेटी समेत समर्थकों के लिए टिकट मांगा था.
BJP ने राव इंद्रजीत की पसंद के उम्मीदवारों को तरजीह भी दी और ये सभी विधानसभा चुनाव जीत विधायक निर्वाचित होने में भी सफल रहे हैं. हाल ही में राव इंद्रजीत के नौ विधायकों के साथ बागी तेवर दिखाने,
सीएम पद के लिए अड़े होने की रिपोर्ट्स भी कुछ मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर आईं. हालांकि, इस तरह की रिपोर्ट्स के जोर पकड़ने के बाद राव इंद्रजीत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर इसे अफवाह करार दिया था.
BJP अनुशासित पार्टी मानी जाती है. अमूमन ऐसा देखने को मिलता है कि पार्टी ने अगर किसी नेता को चेहरा घोषित कर दिया तो उसके बाद अगले सीएम को लेकर डिबेट वहीं समाप्त हो जाती है. पार्टी के नेता भी खुलकर सीएम दावेदारी करने से परहेज करते हैं लेकिन हरियाणा चुनाव में इसके उलट नजारा देखने को मिला. खुद अमित शाह ने ही यह ऐलान किया था
नायब सैनी ही चुनाव में बीजेपी का चेहरा होंगे लेकिन राव इंद्रजीत से लेकर अनिल विज तक, सीएम पद के लिए नेताओं की दावेदारियां इसके बाद भी लगातार चलती रहीं. राव इंद्रजीत विधायक नहीं हैं लेकिन सीएम के लिए अनिल विज के साथ उनकी दावेदारी ने बीजेपी नेतृत्व की टेंशन बढ़ा दी है.
He has 18 years of experience in journalism. Currently he is the Editor in Chief of Samar India Media Group. He lives in Amroha, Uttar Pradesh. For contact samarindia22@gmail.com