पूर्वोत्तर राज्य Manipur में ताजा हिंसा के बाद सवाल उठने लगा है कि आखिर बार-बार यहां हिंसा की चिंगारी क्यों भड़क उठती है? लेकिन इस सवाल का जवाब फिलहाल न तो प्रशासन के पास है और न ही राजनीतिक पंडितों के. हाल में शिरुई लिली महोत्सव के दौरान मैतेई समुदाय के लोगों को बसों में भर कर कुकी बहुल उखरुल जिले में ले जाया गया.
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यह पहल भी कामयाब नहीं हो सकी. कुकी उग्रवादियों ने इन बसों पर भी हमले किए. सबसे ताजा मामले में हाल में बीजेपी ने नए सिरे से सरकार के गठन की कवायद शुरू की थी और 44 विधायकों के समर्थन वाला एक पत्र भी राज्यपाल को सौंपा गया था. इससे उम्मीद जगी थी कि नई सरकार के सत्ता संभालने के बाद शायद हालात में सुधार और राज्य के लोग सामान्य दिनचर्या में लौट सकें.
लेकिन अब मैतेई संगठन आरामबाई टेंगगोल के कट्टरपंथी नेता ए. कानन सिंह की सीबीआई के हाथों गिरफ्तारी ने राजधानी इंफाल समेत मैतेई बहुल इलाकों में नए सिरे से हिंसा भड़का दी है. रविवार को पूरे दिन उत्तेजित भीड़ ने कई इलाको में हिंसा, आगजनी और पथराव किया. मैतेई संगठनों ने सोमवार से राज्य में 10 दिनों के बंद की अपील की है. दूसरी ओर, प्रशासन ने पांच जिलों में इंटरनेट बंद कर दिया है और कई इलाकों में निषेधाज्ञा लागू कर दी है.
आखिर राज्य में राख के नीचे से हिंसा की चिंगारी बार-बार क्यों भड़क उठती है? इस सवाल का सीधा जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है. राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर डीडब्ल्यू से कहते हैं, “मैतेई नेता की गिरफ्तारी ही ताजा हिंसा की वजह है. दोनों समुदायों के बीच की कड़वाहट तो जरा भी कम नहीं हुई है.
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अब इस नेता की गिरफ्तारी मैतेई समुदाय को अपनी तौहीन लग रही है. दोनों समुदाय मौजूदा परिस्थिति के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं. कुछ मामलों में मैतेई समुदाय ने कुछ नरम रवैया भले अपनाया है, कुकी समुदाय तो किसी भी परिस्थिति में झुकने के लिए तैयार नहीं है.”

