crime story 2024 एक दर्जी के टैग से शुरू हुई पुलिस की जांच ओडिशा में एक खौफनाक हत्याकांड के पीछे के सच तक पहुँची। इस घटना में एक पति ने अपनी पत्नी को अपने भाई और चचेरे भाई की मदद से मौत के घाट उतार दिया, और एक दर्जी के टैग ने पुलिस को कातिलों तक पहुँचाया।
कभी-कभी एक छोटा सा सुराग भी कातिल तक पहुंचने का रास्ता बता देता है। अपने आप को बेहद शातिर मानने वाला कातिल, समझता है
crime story 2024 कि उसने कत्ल के बाद मौके से सारे सबूत मिटा दिए हैं, लेकिन यही उसकी सबसे बड़ी भूल होती है। क्योंकि, जुर्म के निशान मिटाना इतना आसान नहीं होता,जितना वो समझता है।
crime story 2024 वो 13 दिसंबर 2024 का दिन था,
जब ओडिशा के कटक में कांदारपुर पुलिस थाने को खबर मिलती है कि कथजोड़ी नदी के किनारे एक महिला की लाश मिली है। खबर मिलते ही पुलिस की गाड़ियां मौके पर पहुंचती हैं और छानबीन शुरू हो जाती है।
लाश तकरीबन 34-35 साल की महिला की थी। उसके दोनों हाथों पर टैटू गुदे हुए थे, लेकिन ऐसा कोई सुराग नहीं था, जिसके जरिए उसकी पहचान हो सके।
crime story 2024 लाश के पास ही पुलिस को खून से सनी हुई एक शर्ट और पैंट भी मिलती है। इन दोनों कपड़ों पर ही ‘न्यू स्टार टेलर्स’ का टैग लगा हुआ था। पुलिस आसपास के थानों से भी संपर्क करती है,
लेकिन कहीं भी किसी महिला की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई थी। अब पुलिस के सामने दो चुनौतियां थीं। पहली- लाश की शिनाख्त करना और दूसरी- उसके कातिलों तक पहुंचना।
crime story 2024 ऐसे में पुलिस ने उसी सुराग पर फोकस किया, जो उन्हें लाश के पास मिला।
और ये सुराग था, शर्ट और पैंट पर मिला दर्जी का टैग। इस टैग से मिलते जुलते नाम वाली दर्जी की दुकानों की तलाश शुरू हुई और पूछताछ करते-करते पुलिस लगभग 10 दर्जियों तक पहुंची
। इनमें से किसी ने भी उस टैग को तो नहीं पहचाना, लेकिन एक दर्जी ने पुलिस को आगे की तफ्तीश के लिए अहम सुराग दे दिया।
गंजाम जिले के एक दर्जी ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि इस तरह के टैग गुजरात में इस्तेमाल किए जाते हैं। अब इस जानकारी के आधार पर, गुजरात पुलिस से संपर्क किया गया और आखिरकर सूरत में वही दर्जी मिल गया।
इस दर्जी के टैग पर ‘3833’ नंबर लिखा था, जिसका मिलान भी हो गया। अपना रजिस्टर देखकर इस दर्जी ने बताया कि उसने यह शर्ट ‘बाबू’ नाम के एक आदमी के लिए सिली थी।
अब पुलिस के पास एक नाम था बाबू, लेकिन ये बाबू कौन है और कहां रहता है, इसकी जानकारी नहीं थी। पुलिस इस गुत्थी में उलझी ही थी कि उसी दर्जी ने कातिल तक पहुंचने का दूसरा सुराग भी दे दिया।
उसने बताया कि पेमेंट करते समय उसे बाबू को 100 रुपये वापस करने थे, लेकिन उसके पास खुल्ले पैसे नहीं थी। इस वजह से उसने 100 रुपये एक मोबाइल नंबर के ई-वॉलेट में ट्रांसफर कर दिए थे।
पुलिस ने उस नंबर पर कॉल किया तो पता चला कि वह आदमी बाबू का दोस्त है। इसके बाद बाबू की पूरी डिटेल मिल गई। उसने बताया कि बाबू का असली नाम जगन्नाथ दुहुरी है
और वह ओडिशा के केंद्रपाड़ा में रहता है। साथ ही ये भी पता चला कि बाबू आज ट्रेन से सूरत आ रहा है। पुलिस ने जाल बिछाया और ट्रेन जब रायगढ़ से गुजर रही थी, तभी उसे पकड़ लिया गया।
बाबू से सख्ती से पूछताछ हुई, तो उसने अपना गुनाह कबूलते हुए पूरी कहानी बयां कर दी। उसने बताया कि जिस महिला की लाश मिली है, वो उसकी भाभी थी।
साथ ही बाबू ने यह भी खुलासा किया कि उसने अपने भाई बलराम दुहुरी और चचेरे भाई हापी दुहुरी के साथ मिलकर कत्ल की इस वारदात को अंजाम दिया था।
बाबू की निशानदेही पर पुलिस ने बाकी दोनों आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में पता चला कि बलराम दुहुरी उस महिला का पति है, जिसकी लाश मिली थी।
बलराम को शक था कि उसकी पत्नी के किसी गैर मर्द के साथ अवैध संबंध हैं और इस वजह से दोनों में अक्सर झगड़ा भी होता था। इसीलिए, उसने अपने छोटे भाई जगन्नाथ और चचेरे भाई हापी के साथ मिलकर अपनी पत्नी का कत्ल कर दिया।
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