नई दिल्ली। BJP भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपने चौंकाने वाले फैसलों के लिए मशहूर है और एक बार फिर उसने पूरे देश को हैरत में डाल दिया है। बीजेपी ने देश की सियासत और खासकर बिहार के राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। बीते रविवार को जैसे ही बिहार सरकार में सड़क निर्माण मंत्री नितिन नवीन को बीजेपी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया, वैसे ही उनकी हर तरफ चर्चा होने लगी। हर चर्चा में एक ही सवाल कॉमन है- आखिर 45 साल के इस नेता को बीजेपी ने इतनी बड़ी जिम्मेदारी कैसे सौंप दी? आइए, इस फैसले के पीछे की वजहों को समझते हैं, लेकिन पहले जानते हैं इस घटना के 5W और 1H को।
कौन हैं नितिन नवीन? (Who)
नितिन नवीन एक 45 साल के युवा नेता हैं, जो बिहार की राजनीति में एक जाना-माना नाम हैं। वे बिहार के पटना जिले की बैंकिपुर विधानसभा सीट से पांच बार के विधायक हैं। फिलहाल, वे नीतीश कुमार की कैबिनेट में सड़क निर्माण मंत्री के रूप में काम कर रहे हैं। नितिन नवीन का राजनीतिक सफर उनके पिता, दिवंगत बीजेपी नेता नवीन किशोर सिन्हा की विरासत से जुड़ा है। पिता के निधन के बाद 26 साल की उम्र में वे विधायक बने और तब से पार्टी में लगातार ऊपर चढ़ते गए। वे भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय सचिव भी रह चुके हैं और पार्टी के कई महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं। कायस्थ समुदाय से ताल्लुक रखने वाले नितिन को पार्टी में एक मेहनती और समन्वय करने वाले नेता के रूप में जाना जाता है।
क्या हुआ? (What)
बीजेपी ने नितिन नवीन को अपना राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है। यह पद पार्टी के संविधान में भले ही नहीं हो, लेकिन 2019 से यह एक अंतरिम व्यवस्था के रूप में इस्तेमाल होता आ रहा है। इस पद पर नियुक्ति का मतलब है कि नितिन मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की मदद करेंगे और पार्टी के दैनिक कामकाज को संभालेंगे। यह नियुक्ति तुरंत प्रभाव से लागू हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और खुद जेपी नड्डा ने उन्हें बधाई दी है। इस फैसले से राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है, क्योंकि नितिन को अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर बहुत बड़ा चेहरा नहीं माना जाता था।
कब हुआ? (When)
यह नियुक्ति रविवार, 14 दिसंबर 2025 को की गई। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने एक आधिकारिक अधिसूचना जारी करके इसकी घोषणा की। जेपी नड्डा का कार्यकाल 2024 में ही खत्म हो चुका था, लेकिन लोकसभा चुनावों की वजह से इसे बढ़ाया गया था। अब पार्टी की संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया चल रही है, और इसी बीच यह अंतरिम नियुक्ति की गई है। सूत्रों के मुताबिक, जनवरी 2026 में पार्टी के पूर्ण राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो सकता है, और नितिन नवीन इसके प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं।
कहां हुआ? (Where)
यह फैसला बीजेपी के राष्ट्रीय मुख्यालय में लिया गया, लेकिन इसका असर पूरे देश, खासकर बिहार पर पड़ रहा है। नितिन नवीन बिहार से हैं, और उनकी नियुक्ति से बिहार की राजनीति में नई ऊर्जा आई है। पटना से दिल्ली तक की सियासी गलियारों में इसकी चर्चा है। बीजेपी ने इस नियुक्ति को बिहार और पूर्वी भारत के प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि पार्टी का कोई राष्ट्रीय अध्यक्ष अब तक इस इलाके से नहीं रहा है।
क्यों हुई यह नियुक्ति? (Why)
बीजेपी के इस फैसले के पीछे कई वजहें हैं। सबसे पहले, पार्टी युवा नेतृत्व को आगे बढ़ाना चाहती है। 45 साल के नितिन नवीन अगर पूर्ण अध्यक्ष बनते हैं, तो वे बीजेपी के इतिहास में सबसे युवा अध्यक्ष होंगे, जो नितिन गडकरी के 52 साल के रिकॉर्ड को तोड़ देंगे। दूसरी वजह संगठनात्मक मजबूती है। नितिन को पार्टी के ग्राउंड लेवल पर काम करने का लंबा अनुभव है। वे छत्तीसगढ़ और सिक्किम के प्रभारी रह चुके हैं, जहां उन्होंने चुनावी सफलता दिलाई। तीसरी वजह उनका मेहनती और विश्वसनीय होना है। पीएम मोदी ने उन्हें ‘कड़ी मेहनत करने वाला कार्यकर्ता’ कहा है, जो लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में समर्पित है। चौथी वजह क्षेत्रीय संतुलन है- बिहार और पूर्वी भारत से पहला बड़ा नेता बनाकर पार्टी अपना आधार मजबूत करना चाहती है। आखिरी वजह समय की मांग है, क्योंकि पार्टी चुनाव प्रक्रिया में है और अंतरिम व्यवस्था की जरूरत थी। ये वजहें बताती हैं कि बीजेपी भविष्य की तैयारी कर रही है, जहां युवा और अनुभवी नेता मिलकर काम करेंगे।
कैसे हुई यह नियुक्ति? (How)
यह नियुक्ति बीजेपी की आंतरिक प्रक्रिया के तहत हुई। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व, जिसमें पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा शामिल हैं, ने नितिन नवीन को चुना। अधिसूचना जारी करके इसे आधिकारिक बनाया गया। पार्टी के 37 में से 30 राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे हो चुके हैं, जो राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव के लिए जरूरी हैं। यह चुनाव कम से कम चार दिन चलेगा और संभवतः जनवरी 14 के बाद होगा, क्योंकि खर मास (हिंदू कैलेंडर का अशुभ समय) से बचना है। नितिन को अंतरिम पद देकर उन्हें भूमिका सीखने का मौका दिया गया है, जैसा 2019 में जेपी नड्डा के साथ हुआ था। उनकी पृष्ठभूमि में छत्तीसगढ़ में चुनाव सह-प्रभारी के रूप में 1.5 साल काम करना, दिल्ली में तीन दशक की हार खत्म करना, और बिहार में जीविका दीदी नेटवर्क को मोबिलाइज करना शामिल है। उनका कायस्थ बैकग्राउंड भी राजनीतिक रूप से न्यूट्रल माना गया, जो समन्वय में मदद करता है।
यह नियुक्ति बीजेपी की रणनीति का हिस्सा लगती है, जहां पार्टी अन्य दलों के उम्रदराज नेताओं के मुकाबले युवा चेहरों को आगे कर रही है। नितिन नवीन का सफर एक सामान्य कार्यकर्ता से राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचना युवा नेताओं के लिए प्रेरणा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या वे जेपी नड्डा की तरह सफल होंगे? आने वाला समय बताएगा। फिलहाल, बिहार में खुशी की लहर है, और राष्ट्रीय स्तर पर उत्सुकता। इस फैसले से बीजेपी अपनी संगठनात्मक ताकत दिखा रही है, जो आगामी चुनावों में फायदेमंद साबित हो सकती है। नितिन की नियुक्ति से पार्टी में नई ऊर्जा आएगी, और यह generational shift का संकेत है। वे पार्टी के सीनियर नेताओं को साथ लेकर चलने में माहिर हैं, जो उनकी सबसे बड़ी ताकत है। कुल मिलाकर, यह फैसला बीजेपी की दूरदर्शिता को दिखाता है।

