हीट-स्ट्रोक से बचने के लिए छाता व रंगीन चश्मे का करें प्रयोग, खूब पिएं पानी

हीट-स्ट्रोक से बचने के लिए छाता व रंगीन चश्मे का करें प्रयोग, खूब पिएं पानी

बदायूँ। प्रशासनिक न्यायमूर्ति, उच्च न्यायालय इलाहाबाद, के निर्देशानुसार एवं माननीय जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं के अध्यक्षता में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं के तत्वाधान में गुरुवार को समय जनपद न्यायालय परिसर में स्थित केन्द्रीय सभागार में ऊष्माघात/लू (हीट स्ट्रोक) से बचाव के उपाय से सम्बन्धित शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं, पंकज कुमार अग्रवाल एवं सम्मानित जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी व दीवानी), सम्मानित अध्यक्ष/सचिव, जिला बार ऐसोशिएसन एवं अध्यक्ष/ सचिव, जिला सिविल बार ऐसोशिएसन, बदायूं एवं समस्त विद्धान अधिवक्तागण द्वारा प्रतिभाग किया गया।

शिविर में डॉ०जावेद हुसैन, उप मुख्य चिकित्साधिकारी, बदायूं, डॉ० शिवमोहन कमल, (फिजिशियन), डॉ० श्रीपाल, (त्वचा रोग विशेषज्ञ), डॉ० मोहम्मद वसीम, (नेत्र रोग विशेषज्ञ), मौ० इलियास, कार्यक्रम समन्वयक, जिला पुरुष अस्पताल, बदायूं आदि ने प्रतिभाग किया।
कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा विस्तार पूर्वक ऊष्माघातध्लू (हीट स्ट्रोक) से बचाव के उपाय के विषय पर समस्त विद्धान अधिवक्तागण को जानकारी प्रदान करायी गयी इस ऊष्माघात /लू (हीट-स्ट्रोक) को कम करने के लिए उप मुख्य चिकित्साधिकारी व उनकी टीम द्धारा ऐसे टिप्स दिये जिससे ऊष्माघात/लू (हीट-स्ट्रोक) के कारण होने वाली बीमारियों तथा उसके दुष्प्रभाव को रोका जा सके।कार्यक्रम का संचालन शिव कुमारी, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/प्रभारी सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं द्धारा किया गया।
इसी क्रम में पंकज कुमार अग्रवाल, जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं, द्धारा उक्त कार्यक्रम में समस्त अधिवक्तागण से अपील की गयी कि ऊष्माघात/लू (हीट-स्ट्रोक) को कम करने के लिए छाता का प्रयोग करना चाहिए, रंगीन चश्मे का प्रयोग करना चाहिए, तथा पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए, क्योंकि पानी की कमी से शरीर की त्वचा शुष्क हो जाती है जिससे व्यक्ति के शरीर में विभिन्न प्रकार की गम्भीर बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं इसी क्रम में अपने वकतव्य में उन्होनें कहा कि ऐसे कार्यकम समय-समय पर जनपद न्यायालय बदायूं में होते रहने चाहिए जिससे न्यायिक कार्य में सहभागिता कर रहे समस्त विद्धान अधिवक्तागण को होने वाले स्वास्थ्य सम्बन्धी दुष्परिणाम से मुक्ति मिल सके, एवं अपने आस-पास के परिवेश में भी आम जन मानस को जागरूक किया जा सके इसके अतिरिक्त अपने वकतव्य में बताया गया कि पूर्व में भी स्वास्थ्य परीक्षण सम्बन्धी कार्यक्रमों का आयोजन किया जा चुका है।सम्बोधन के उपरान्त अध्यक्ष की अनुमति से कार्यक्रम का समापन किया गया।

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