एसडीएम की अध्यक्षता में आयोजित समाधान दिवस हुआ फ्लॉप

एसडीएम की अध्यक्षता में आयोजित समाधान दिवस हुआ फ्लॉप समाधान दिवस मे शिकायत लेकर पहुंचे 10 शिकायतकर्ताओं कि किसी भी शिकायत का मौके पर नहीं…

एसडीएम की अध्यक्षता में आयोजित समाधान दिवस हुआ फ्लॉप

समाधान दिवस मे शिकायत लेकर पहुंचे 10 शिकायतकर्ताओं कि किसी भी शिकायत का मौके पर नहीं हुआ समाधान

शिकायतकर्ता निराश होकर अपने घरों को वापस लौटे

सहसवान (बदायूंँ) सहसवान तहसील में एसडीएम की अध्यक्षता में आयोजित समाधान दिवस में कडाके की ठंड के बावजूद पहुंचे 10 शिकायतकर्ता की शिकायते दर्ज होने के बावजूद किसी भी शिकायत का मौके पर निस्तारण नहीं हुआ।जिससे पीड़ित शिकायत करता निराश होकर अपने-अपने घरों को यह सोचते हुए वापस चले गए कि उनकी शिकायत का निस्तारण प्रमुखता के साथ इस बार हो जाएगा।परंतु कुछ दिन के उपरांत उन्हें मोबाइल पर मैसेज आ जाता है।कि उनकी शिकायत का निस्तारण प्रमुखता के साथ प्राथमिकता देते हुए कर दिया गया जबकि वास्तविक शिकायत का निशान नहीं होता सिर्फ महज औपचारिकता होती है।

समाधान दिवस में राजस्व विभाग विधुत विभाग तथा पूर्ति कार्यालय से संबंधित शिकायत समाधान दिवस अध्यक्षता कर रहे एसडीएम प्रेमपाल सिंह को शिकायतकर्ताओं ने शिकायती पत्र लेकर दर्ज करते हुए न्याय की गुहार लगाई परंतु किसी भी शिकायत का मौके पर निस्तारण नहीं हुआ।जिससे शिकायतकर्ता निराशा मन लेकर अपने-अपने घरों को वापस चले गए।यही समाधान नहीं बल्कि बीते कई वर्षों से चले आ रहे अनेकों समाधान दिवसों में भी यही हाल हुआ है।जिससे शिकायतकर्ताओं का दिनों दिन समाधान दिवस से विश्वास उठता चला जा रहा है। आज एसडीएम की अध्यक्षता में होने वाले समाधान दिवस में भी यही नजारा देखने को मिला समाधान दिवस की अध्यक्षता कर रहे एसडीएम प्रेमपाल सिंह तथा समाधान दिवस की शिकायत दर्ज कर रहे नाजिर के पटल खाली पड़े हुए नजर आए।ज्ञात रहे उत्तर प्रदेश सरकार द्धारा तहसील स्तरीय लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए तहसील सभागार में आयोजित किया जा रहे समाधान दिवस फिलाप शौ साबित हो रहे हैं समाधान दिवस का मुख्य उद्देश्य समाधान दिवस में ही शिकायतों का निस्तारण करना है।

परंतु शिकायतों को मौके पर निस्तारण न करके अध्यक्षता करने वाले समाधान दिवस के अधिकारियों द्धारा शिकायतों को विभाग प्रमुखों को निस्तारण हेतु अग्रसारित कर दी जाती हैं विभाग प्रमुखों द्वारा शिकायतों को महज खानापूर्ति करके निस्तारण करने की रिपोर्ट लगा दी जाती है जिससे शिकायतकर्ता की शिकायत न होने पर उसे न्याय नहीं मिल पाता है।जबकि शासन के स्पष्ट निर्देश हैं।कि शिकायतकर्ता की शिकायत का निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर उसके संतुष्ट होने के बाद ही निस्तारण किया जाए परंतु संबंधित शिकायत के विभाग प्रमुख शिकायतों का निस्तारण शिकायतकर्ता को न बताकर सिर्फ पोर्टल पर शिकायत का निस्तारण कर दिया जाता है।तहसील समाधान दिवस में दर्जनों लिए हुए शिकायती पत्र को देखकर महसूस होता है।की शिकायतकर्ताओं की शिकायतों का प्रमुखता के आधार पर निस्तारण नहीं हो रहा ऐसा ही बीते दिनों जिलाधिकारी की अध्यक्षता में संपन्न हुए संपूर्ण समाधान दिवस में भी ऐसे शिकायतकर्ता देखे गए जिनको बीते लगभग 3 वर्षों से शिकायत करने के बावजूद शिकायतों का निस्तारण नहीं हुआ।

शिकायतकर्ता शिकायत के निस्तारण के लिए दोबारा समाधान दिवस में लगी लंबी लाइनों में कई कई घंटे इंतजार के बाद अधिकारियों तक पहुंच पाता है।उसे यह एहसास होता है।कि शायद अब इसकी शिकायत का निस्तारण हो जाएगा परंतु ऐसा नहीं होताः काश मंडल तथा जिला स्तर के अलावा भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ जनप्रतिनिधि स्वयं एक बार समाधान दिवस में पहुंचकर शिकायतों का स्वयं विश्लेषण करें तो उन्हें स्वयं यह पता चल जाएगा की शिकायतों का निस्तारण न होने में आखिर कहा देरी हो रही है।

रिपोर्ट – एस.पी सैनी (समर इंडिया)

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