Moradabad News-मुरादाबाद। भगतपुर ब्लॉक के रानी नागल गांव से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जिसने पूरे जिला प्रशासन में हड़कंप मचा दिया। गांव में लंबे समय से रह रहे 92 लोगों पर रोहिंग्या होने की आशंका जताई जा रही है। ये लोग संदिग्ध मतदाता के रूप में पहचाने गए हैं। सबसे हैरानी की बात ये है कि इनके नाम पहले से ही विधानसभा की मतदाता सूची में दर्ज हैं। अब प्रशासन ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी है।
क्या हुआ? (What)
गांव में रह रहे 92 लोगों के रोहिंग्या होने की शिकायत मिली है। ये लोग काफी समय से घुमंतू जाति के रूप में यहां बसे हुए हैं। शिकायत के बाद पता चला कि इनके नाम मतदाता सूची में पहले से शामिल हैं। दस्तावेजों की जांच में नए तथ्य सामने आए हैं, जिनसे संदेह और गहरा गया है।
कब हुआ खुलासा? (When)
ये मामला तब सामने आया जब गांव में ग्राम पंचायत चुनाव के लिए मतदाता सूची का पुनरीक्षण कार्य चल रहा था। इसी प्रक्रिया के दौरान एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) और मैपिंग के समय दस्तावेजों की पड़ताल हुई। पंचायत चुनाव से ठीक पहले इस खुलासे ने सभी को चौंका दिया है।
कहां की घटना? (Where)
ये पूरी घटना मुरादाबाद जिले के भगतपुर ब्लॉक में स्थित रानी नागल गांव की है। यहां ये संदिग्ध लोग लंबे समय से रह रहे हैं। गांव के ग्रामीणों में इस बात को लेकर चिंता और रोष का माहौल है।
कौन शामिल? (Who)
शिकायत करने वाले गांव के पूर्व प्रधान सईदुल हसन हैं। उन्होंने जिला प्रशासन को लिखित शिकायत दी, जिसमें इन लोगों को संदिग्ध बताया। शिकायत मिलने के बाद जिलाधिकारी अनुज सिंह ने तुरंत कार्रवाई की और पूरे मामले की जांच एसडीएम सदर को सौंप दी। प्रशासन की टीम अब इन सभी 92 संदिग्ध मतदाताओं के दस्तावेजों की गहन जांच कर रही है।
क्यों बढ़ा संदेह? (Why)
ये लोग लंबे समय से गांव में रह तो रहे हैं, लेकिन उनके दस्तावेजों में कई खामियां मिली हैं। जांच में पता चला कि इनमें से 10 लोगों ने अपने पते के रूप में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक अन्य जनपद के पूर्व निवासी होने की जानकारी दी है। सबसे बड़ा संदेह ये है कि इनके नाम बिना पूरी जांच के मतदाता सूची में कैसे शामिल हो गए। ग्रामीणों को डर है कि कहीं ये अवैध तरीके से वोटर लिस्ट में घुसपैठ तो नहीं कर रहे।
कैसे हो रही जांच? (How)
शिकायत मिलते ही जिलाधिकारी अनुज सिंह ने एसडीएम सदर को जांच की जिम्मेदारी सौंपी। प्रशासन का कहना है कि मामले को पूरी संवेदनशीलता से देखा जा रहा है। सभी संदिग्धों के पहचान पत्र, मूल निवास प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेजों की बारीकी से पड़ताल की जा रही है। कोई लापरवाही नहीं बरती जाएगी और जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर सख्त कार्रवाई होगी।
पूर्व प्रधान की शिकायत से खुला राज
पूर्व प्रधान सईदुल हसन ने अपनी शिकायत में साफ कहा कि गांव में कुछ लोग लंबे समय से रह रहे हैं, लेकिन वे संदिग्ध लगते हैं। उनकी शिकायत पर प्रशासन हरकत में आया और जांच की प्रक्रिया शुरू हो गई। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे लोग अचानक गांव में बस गए और अब मतदाता सूची में भी शामिल हैं, जो चिंता की बात है।
वोटर लिस्ट में नाम दर्ज होने से गहराया शक
चौंकाने वाली बात ये है कि ये 92 संदिग्ध लोग घुमंतू जाति के रूप में रहते हैं, लेकिन उनके नाम पहले से ही विधानसभा मतदाता सूची में दर्ज पाए गए। इससे संदेह और बढ़ गया कि आखिर इनकी पहचान कैसे सत्यापित हुई। पुनरीक्षण के दौरान ये बात सामने आई, जिसने पूरे मामले को गंभीर बना दिया।
दस्तावेजों की जांच में नए खुलासे
एसआईआर और मैपिंग के दौरान जब दस्तावेज चेक किए गए तो कई inconsistencies मिलीं। खासकर 10 लोगों के पते दूसरे जनपद के बताए गए, जो मूल निवास से मेल नहीं खाते। इससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या ये लोग असली निवासी हैं या बाहर से आए हैं।
पंचायत चुनाव से पहले मचा हंगामा
ग्राम पंचायत चुनाव की तैयारी जोरों पर है और मतदाता सूची का पुनरीक्षण चल रहा है। इसी बीच ये खुलासा हुआ, जिससे गांव में रोष फैल गया। ग्रामीण चाहते हैं कि फर्जी मतदाताओं के नाम तुरंत हटाए जाएं, ताकि चुनाव निष्पक्ष हो।
प्रशासन का सख्त रुख और आश्वासन
जिला प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी स्तर पर लापरवाही नहीं होगी। सभी दस्तावेजों की गहन जांच हो रही है। जिलाधिकारी अनुज सिंह ने कहा, “शिकायत मिली है और एसडीएम सदर को जांच सौंपी गई है। संदिग्ध मतदाताओं के दस्तावेज और निवास की पूरी पड़ताल की जा रही है। जो तथ्य सामने आएंगे, उसके मुताबिक नियमानुसार कार्रवाई होगी।”
ये मामला काफी संवेदनशील है और प्रशासन पूरी मुस्तैदी से लगी हुई है। जांच पूरी होने के बाद ही साफ होगा कि ये महज आशंका है या कोई बड़ा घुसपैठ का मामला। फिलहाल गांव में चर्चा का विषय बना हुआ है और लोग जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं।

