नई दिल्ली : माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के बेटे MLA Abbas अंसारी शुक्रवार को 2 साल 8 महीने का समय जेल में बिताने के बाद रिहा हो गए। उन्हें सात मार्च को सुप्रीम कोर्ट से कई शर्तों के साथ जमानत मिली थी, जिसके बाद कोर्ट का आदेश करीब 15 दिनों बाद कासगंज जेल पहुंचा और उनकी रिहाई संभव हो सकी।
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MLA Abbas की रिहाई उनके परिवार के लिए ईद से पहले एक बड़ी खुशी लेकर आई है। रमजान के पवित्र महीने में जुमे के दिन उनकी रिहाई को उनके समर्थक ईश्वर की कृपा मान रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने MLA Abbas को लखनऊ स्थित अपने सरकारी आवास में रहने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र मऊ का दौरा करने से पहले संबंधित अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह बिना अनुमति के उत्तर प्रदेश नहीं छोड़ सकेंगे और अदालतों में पेश होने से एक दिन पहले पुलिस अधिकारियों को इसकी जानकारी देनी होगी।
अब्बास अंसारी को पिछले विधानसभा चुनाव के कुछ समय बाद, 4 नवंबर 2022 को गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाफ सबसे प्रमुख मामला हेट स्पीच का था, जिसके बाद 6 सितंबर 2024 को उन पर गैंगस्टर एक्ट के तहत भी कार्रवाई की गई थी।
MLA Abbas लखनऊ स्थित अपने सरकारी आवास में रहने का निर्देश दिया
अब्बास अंसारी पहले चित्रकूट जेल में बंद थे, जहां अपनी पत्नी निकहत के साथ अवैध रूप से मुलाकात करते पकड़े जाने के बाद उन्हें कासगंज जेल स्थानांतरित कर दिया गया था। उनकी पत्नी निकहत को भी इस मामले में गिरफ्तार किया गया था और बाद में उन्हें भी सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी।
MLA Abbas ने 2022 का विधानसभा चुनाव ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के टिकट पर जीता था। उस समय सुभासपा और समाजवादी पार्टी ने गठबंधन करके चुनाव लड़ा था। हालांकि, बाद में सुभासपा ने सपा का साथ छोड़कर भाजपा से गठबंधन कर लिया।
इस गठबंधन पर सवाल उठने पर ओपी राजभर ने अब्बास अंसारी को सपा का भेजा हुआ प्रत्याशी बताया था। अब अब्बास की रिहाई के बाद यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वह सुभासपा की बैठकों में शामिल होते हैं या पार्टी से दूरी बनाए रखते हैं। विधानसभा में भी उनकी सीट पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी।