भोपाल।Madhya Pradesh BJP MLA की धार्मिक नगरी उज्जैन में वर्ष 2028 में सिंहस्थ होने वाला है। इससे पहले सरकार वहां विकास कार्य कराने को लेकर फैसले कर रही है। जमीन अधिग्रहण पर भाजपा विधायक चिंतामणि मालवीय ने सवाल उठाया, जिस पर पार्टी ने उन्हें नोटिस दिया है। पार्टी की ओर से दिए गए नोटिस पर सियासत गरमा गई है और कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला है।
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बीते दिनों उज्जैन के आलोट विधानसभा क्षेत्र से Madhya Pradesh BJP MLA चिंतामणि मालवीय ने सिंहस्थ के लिए स्थाई संरचनाएं बनाने और किसानों की जमीन अधिग्रहण किए जाने का मामला उठाया था। विधानसभा में मालवीय का साथ कांग्रेस ने भी दिया और सरकार पर जमीन अधिग्रहण में मनमानी के आरोप भी लगाए।
विधानसभा में सिंहस्थ का मामला उठाए जाने के बाद पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने रविवार को Madhya Pradesh BJP MLA को नोटिस जारी कर सात दिन में जवाब मांगा है। नोटिस में कहा गया है कि मालवीय लगातार सरकार की आलोचना कर रहे हैं। इससे पार्टी की प्रतिष्ठा को आघात पहुंच रहा है और सरकार व पार्टी की छवि पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। यह अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देश पर नोटिस जारी किया गया है।
Madhya Pradesh BJP MLA को नोटिस जारी कर सात दिन में जवाब मांगा
उधर, विधायक मालवीय का कहना है कि उन्हें अभी तक पार्टी का नोटिस प्राप्त नहीं हुआ है, यह मामला उनका और पार्टी के बीच का है। उज्जैन में किसान परेशान हैं और आंदोलन भी कर रहे हैं। उन्होंने वहां के मामले को सदन में उठाया था।
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने मालवीय का साथ देते हुए कहा कि मालवीय ने लोकतंत्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया है। वर्तमान में राज्य में भू माफिया सिर चढ़कर बोल रहे हैं। उज्जैन में किसानों की जमीन सिंहस्थ के नाम पर अस्थाई रूप से लेकर उस पर स्थाई कब्जा करेंगे। सिंहस्थ आस्था से जुड़ा हुआ है मगर किसानों से स्थाई तौर पर जमीन लेना ठीक नहीं है।
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने भाजपा पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि नोटिस तो प्रहलाद पटेल और विश्वास सारंग को दिया जाना चाहिए। जमीन अधिग्रहण के मामले में कांग्रेस उज्जैन जाकर लड़ाई लड़ेगी।
कांग्रेस नेता और पूर्व गृहमंत्री बाला बच्चन ने कहा है कि मालवीय ने किसानों का मुद्दा उठाया था और अब भाजपा ने उन्हें नोटिस दिया है इससे भाजपा का असली चेहरा सामने आ गया है। यह साफ हो गया है कि भाजपा सरकार किसानों के साथ नहीं है।