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करनाल : किसान 14 फरवरी तक ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर अपनी फसल का पंजीकरण कर सकते हैं

करनाल: हरियाणा में किसानों के लिए जितनी भी सरकारी योजनाएं चल रही हैं. उन सभी योजनाओं का लाभ लेने के लिए किसान को मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अपनी फसल का विवरण देना होता है और पंजीकरण करना होता है. उसके बाद ही किसानों को सरकार की योजनाओं का लाभ दिया जाता है. बिना पंजीकरण के फसल कटाई के बाद किसानों की फसल जब मंडी में जाती है, पंजीकरण होने के बाद ही उनकी फसल की खरीद की जाती है.

 

 

 

पोर्टल पर पंजीकरण करवाना जरूरी: अगर किसान की फसल किसी आपदा से खराब हो जाती है, तो वो मुआवजे का लाभ तभी ले पता है, जब उसने अपनी फसल का पंजीकरण मेरा फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर किया हुआ हो, अगर उनका पंजीकरण नहीं होता, तो उसे मुआवजे से वंचित रहना पड़ता है. डॉक्टर वजीर सिंह जिला कृषि उपनिदेशक करनाल ने जानकारी देते हुए बताया कि पंजीकरण की प्रक्रिया 15 फरवरी को पूरे हरियाणा में बंद हो जाएगी.

 

 

जिला में कृषि योग्य 3 लाख 70 हजार 761 एकड़ भूमि का पंजीकरण हुआ है. जिले के 49 हजार 633 किसान अपना पंजीकरण करा चुके हैं. कुल रकबे का लगभग 72 प्रतिशत क्षेत्रफल पर पंजीकरण हो चुका है तथा 28 प्रतिशत क्षेत्रफल पर पंजीकरण होना शेष है. ये जानकारी देते हुए कृषि तथा किसान कल्याण विभाग, करनाल के उप निदेशक डॉक्टर वजीर सिंह ने बताया कि हर एक किसान का मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर होना अनिवार्य है.

 

 

बिना पंजीकरण नहीं मिलेगा योजनाओं का लाभ: किसी किसान ने रबी 2024 में अपनी जमीन किसी कारण से खाली छोड़ दी है, तो वो भी पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी करें. प्रत्येक किसान का मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकरण होना चाहिए. मंडी में फसल बेचने, फसल खराब होने पर क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त करने और सरकार की अन्य किसान हितैषी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए इस पोर्टल पर पंजीकरण होना अति आवश्यक है.

 

 

अतिरिक्त पोर्टल से संबंधित समस्याओं का निवारण कृषि तथा किसान कल्याण विभाग द्वारा किया जा रहा है. यदि किसी किसान को मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकरण से संबंधित कोई भी समस्या आ रही है. तो वो तुरन्त कार्यालय खण्ड कृषि अधिकारी व उप निदेशक, कृषि तथा किसान कल्याण विभाग से संपर्क कर सकते हैं. किसान किसी भी सीएससी सेंटर पर जाकर अपनी फसल का पंजीकरण कर सकते हैं इसके लिए उनको अपना फोन नंबर, बैंक खाता नंबर, आधार कार्ड, अपने आढ़ती का नाम और दुकान नंबर के साथ अपने किले नंबर का विवरण देना होता है इसके बाद वो आसानी से अपनी फसल का पंजीकरण करवा सकता है.

 

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