चंडीगढ़। पानी विवाद जटिल होता जा रहा है Haryana और पंजाब के बीच जल आपूर्ति को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। हाल ही में भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) ने हरियाणा को उसके हिस्से का पानी देने का फैसला किया। हालांकि, भगवंत मान की आम आदमी पार्टी (आप) की पंजाब सरकार ने स्पष्ट रूप से इस फैसले को खारिज कर दिया है।
Haryana में जल संकट से निपटने के लिए राशनिंग शुरू, जिलों में तैनात अधिकारियों को हेडक्वार्टर नहीं छोड़ने के आदेश
पंजाब सरकार ने Haryana को पानी की आपूर्ति रोककर अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए भाखड़ा बांध पर डीआईजी के नेतृत्व में पुलिस बल भेजा। बीबीएमबी निदेशक (जल विनियमन) अब इस विवाद में फंस गए हैं। केंद्र सरकार ने आकाशदीप सिंह को पंजाब कोटे के पद से हटाने का आदेश दिया है।
Haryana कैडर के संजीव कुमार को अब आकाशदीप सिंह की जगह निदेशक (जल विनियमन) बनाया गया है। यह पूरी प्रक्रिया दिलचस्प मोड़ लेती है क्योंकि दोनों अधिकारियों के तबादले के आदेश में कहा गया है कि उनका तबादला आकाशदीप सिंह की मांग पर किया गया है।
पंजाब की प्रतिक्रिया:
आकाशदीप सिंह के तबादले का पंजाब सरकार ने विरोध किया है। पंजाब सरकार के अनुसार, हरियाणा को भाखड़ा बांध से लगभग नौ हजार क्यूसेक पानी मिल रहा था, लेकिन पंजाब सरकार ने इस आपूर्ति को घटाकर मात्र चार हजार क्यूसेक कर दिया है। इस कदम के परिणामस्वरूप हरियाणा के कई इलाकों में जल संकट गहरा गया है।हिसार, कुरुक्षेत्र, कैथल ,फतेहाबाद, सिरसा, अंबाला, जींद, रोहतक और महेंद्रगढ़ सहित कई जिलों के निवासी पानी की कमी का सामना कर रहे हैं।
इस बदलाव से क्या फायदा होगा?
माना जा रहा है कि आकाशदीप सिंह को इसलिए स्थानांतरित किया गया है ताकि हरियाणा को उसका पूरा आवंटित पानी मिल सके। फिर भी, पंजाब सरकार के रवैये और बांध पर तैनात पुलिस बल से संकेत मिलता है कि यह विवाद जल्दी सुलझने वाला नहीं है। हरियाणा को पानी की आपूर्ति के मामले में पंजाब सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह किसी भी तरह के लचीलेपन से पीछे नहीं हटेगी।
Haryana सरकार क्या कर सकती है?
अगर हरियाणा चाहे भी तो इस जल विवाद में कुछ नहीं कर सकता क्योंकि पंजाब सरकार अपनी योजनाओं के बारे में स्पष्ट है। हालांकि केंद्र सरकार हस्तक्षेप कर सकती है, लेकिन मौजूदा स्थिति यह है कि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच टकराव और बयानबाजी के कारण जल संकट का समाधान नहीं हो पाया है।
यह जल विवाद हरियाणा और पंजाब के बीच विवाद का विषय होने के साथ-साथ राज्य सरकारों की राजनीतिक नीतियों और निर्णयों का भी प्रतिनिधित्व करता है। यह जल संकट गहरा सकता है और आम जनता को और अधिक समस्याओं से जूझना पड़ सकता है, जब तक कि दोनों राज्य आपसी सहमति से इस पर सहमत नहीं हो जाते।

