जुलाई-सितंबर 2025 तिमाही में GDP ग्रोथ के आंकड़ों ने तमाम अनुमानों को पीछे छोड़ दिया है। इस तिमाही भारत की जीडीपी 8.2 प्रतिशत बढ़ी। यह 2023-24 की चौथी तिमाही के बाद सबसे ज्यादा है, जब अर्थव्यवस्था में 8.4 प्रतिशत वृद्धि हुई थी। इस वर्ष पहली तिमाही में ग्रोथ 7.8 प्रतिशत और 2024-25 की दूसरी तिमाही में 5.6 प्रतिशत थी। इस ग्रोथ का श्रेय मैन्युफैक्चरिंग (manufacturing growth) और सर्विसेज (services sector) में तेज ग्रोथ को दिया जा सकता है।
भारत की आर्थिक तरक्की पर शुभ समाचार, इंडिया रेटिंग्स ने GDP ग्रोथ रेट अनुमान बढ़ाया, RBI से भी ज्यादा
आर्थिक आंकड़ों की गणना दो पैमाने पर की जाती है- स्थिर मूल्यों पर और मौजूदा मूल्यों पर। जीडीपी में 8.2 प्रतिशत वृद्धि स्थिर मूल्यों (2011-12) के आधार पर है। मौजूदा मूल्यों के आधार पर (नॉमिनल) इसमें 8.7 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। मौजूदा मूल्यों पर गणना में महंगाई के प्रभाव को भी शामिल किया जाता है। रियल और नॉमिनल के बीच का अंतर 2019-20 की तीसरी तिमाही के बाद सबसे कम है।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी के अनुसार, निजी खपत में वृद्धि तेज ग्रोथ का मुख्य कारण है। सप्लाई साइड से, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज में काफी बढ़ोतरी देखी गई। लो-बेस इफेक्ट से भी मदद मिली, क्योंकि पिछले साल इसी तिमाही में इकोनॉमी औसत से कम, 5.6% की दर से बढ़ी थी।
खुदरा और थोक महंगाई पहली तिमाही के मुकाबले दूसरी तिमाही में कम थी। खाने-पीने की चीजों की कम महंगाई ने अपनी मर्जी से (डिस्क्रेशनरी) खर्च को बढ़ावा दिया। गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स (GST) की दरों को तर्कसंगत बनाने और उनमें कमी करने से भी निजी खपत बढ़ रही है। इनकम टैक्स और ब्याज दरों में कटौती का भी लाभ मिल रहा है।
मैन्युफैक्चरिंग ने दिखाई तेज रफ्तार GDP
इस ग्रोथ में मैन्युफैक्चरिंग का बड़ा योगदान है। मैन्युफैक्चरिंग ग्रॉस वैल्यू एडिशन (GVA) 9.1 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि पिछले साल समान तिमाही में इसमें सिर्फ 2.2 प्रतिशत वृद्धि हुई थी। बिजली, गैस जैसी यूटिलिटी सर्विसेज में ग्रोथ 3 प्रतिशत से बढ़कर 4.4 प्रतिशत, ट्रेड, होटल, कम्युनिकेशन जैसी सर्विसेज में 6.1 प्रतिशत के मुकाबले 7.4 प्रतिशत, फाइनेंशियल सर्विसेज में 7.2 प्रतिशत से बढ़कर 10.2 प्रतिशत और जन-प्रशासन, रक्षा तथा अन्य सेवाओं में 8.9 प्रतिशत की तुलना में 9.7 प्रतिशत रही है।

