Bhopal gas tragedy: 40 साल बाद भी पीड़ितों को न्याय की आस

भोपाल । दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक आपदा Bhopal gas tragedy से प्रभावित लोगों के लिए काम करने वाले चार संगठनों ने शनिवार को कहा कि उन्होंने कैंसर और किडनी …

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भोपाल । दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक आपदा Bhopal gas tragedy से प्रभावित लोगों के लिए काम करने वाले चार संगठनों ने शनिवार को कहा कि उन्होंने कैंसर और किडनी विकारों से ग्रस्त पीड़ितों के लिए अतिरिक्त मुआवजे की मांग करते हुए उच्चतम न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की है। दो और तीन दिसंबर 1984 की मध्य रात्रि में भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीली गैस के रिसाव के बाद कुल 5,479 लोग मारे गए थे और पांच लाख से अधिक लोग शारीरिक रूप से प्रभावित हुए थे।
‘भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन’ की रचना ढींगरा ने यहां संवाददाताओं से कहा, पीड़ितों को दिए गए मुआवजे में हुए अन्याय को दूर करने के लिए दो दिन पहले याचिका दायर की गई है। हमें उम्मीद है कि इस पर तीन दिसंबर को सुनवाई होगी, जो भोपाल गैस त्रासदी की 40वीं वर्षगांठ है। उन्होंने कहा कि याचिका में कैंसर और किडनी की बीमारियों से पीड़ित उन लोगों के लिए अतिरिक्त मुआवजे की मांग की गई है, जिनके स्वास्थ्य को गैस के संपर्क में आने से हुए नुकसान को गलत तरीके से अस्थायी श्रेणी में रखा गया है।
ढींगरा ने आरोप लगाया, यूनियन कार्बाइड के अपने दस्तावेजों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि ‘मिथाइल आइसोसाइनेट’ के संपर्क में आने से स्वास्थ्य को होने वाली क्षति स्थायी प्रकृति की है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद आधिकारिक एजेंसी ने मुआवजे के 93 प्रतिशत दावों को अस्थायी क्षति के तौर पर माना और गैस पीड़ितों को अपर्याप्त मुआवजा मिलने के पीछे यही मुख्य कारण है। सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत दायर आवेदनों के माध्यम से प्राप्त जानकारी साझा करते हुए, भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संगठन की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा, आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, कैंसर से ग्रस्त 11,278 पीड़ितों में से 90 प्रतिशत और घातक किडनी रोगों से ग्रस्त 1,855 पीड़ितों में से 91 प्रतिशत को अनुग्रह राशि के अलावा मुआवजे के रूप में केवल 25,000 रुपये मिले हैं।”

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