AI के इस युग में नैतिकता की भी जरूरत : डॉ. चिन्मय पंड्या

हरिद्वार। संयुक्त राष्ट्र द्वारा आस्था एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस AI के लिए स्थापित आयोग के एशिया क्षेत्र के आयुक्त डॉ. चिन्मय पंड्या ने कहा कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं के अनुरूप ही समाज का समग्र विकास करना है। आज AI के बढ़ते प्रयोग से समाज की संरचना में बदलाव दिखाई दे रहा है, मानवीय मूल्यों पर इसका संतुलित रूप से असर हों, इस हेतु सभी को जागरूक होना होगा, जिससे हमारी भावी पीढ़ी को नकारात्मक प्रभाव से बचाया जा सके।

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देसंविवि के प्रतिकुलपति युवा आइकान डॉ पण्ड्या ने दीनदयाल शोध संस्थान दिल्ली द्वारा आयोजित बारहवें नानाजी स्मृति व्याख्यान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस AI के सामाजिक प्रभाव विषय पर संबोधित कर रहे थे। इस व्याख्यानमाला का उद्देश्य समाज के समक्ष मौजूदा समसामयिक चुनौतियों पर चर्चा करना और उनके समाधान की दिशा में विचार-विमर्श करना है।

AI मौजूदा समसामयिक चुनौतियों पर चर्चा करना और उनके समाधान की दिशा में विचार-विमर्श करना 

युवा आइकान ने कहा कि वर्तमान में एआई केवल तकनीकी क्षेत्र तक सीमित नहीं है बल्कि यह शिक्षा, चिकित्सा, उद्योग और सुरक्षा सहित अनेक क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रहा है। हालांकि, इसके साथ ही नैतिकता, गोपनीयता, डेटा सुरक्षा तथा रोजगार पर इसके प्रभाव को लेकर कई चिंताएँ भी सामने आ रही हैं। हमें इस पर अभी से सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए।

 

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