कभी देश का सबसे खतरनाक माओवादी गढ़ रहा बस्तर, आज ऐतिहासिक बदलाव के दौर से गुजर रहा है। गृह मंत्री Amit Shah की रणनीति और सुरक्षा बलों के प्रयासों से माओवादी हिंसा कमजोर हुई है। हिड़मा की मौत और कई माओवादियों के आत्मसमर्पण ने संगठन को बड़ा झटका दिया है। वर्ष 2025 माओवादियों के लिए विनाशकारी साबित हुआ है, और सुरक्षा बलों ने उनके नेटवर्क को काफी हद तक तोड़ दिया है।
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हिड़मा के मारे जाने के केवल 10 दिनों में चार करोड़ रुपये से अधिक इनाम वाले 209 माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर दिया।
निर्णायक प्रहारों का साल
2025 का वर्ष माओवादियों के लिए खात्मे वाला साबित हुआ है। यह वर्ष अभी समाप्त नहीं हुआ है, लेकिन 11 महीनों में सुरक्षा बलों ने माओवादी नेटवर्क की रीढ़ को पूरी तरह तोड़ दिया है।
वर्ष की शुरुआत गरियाबंद में शीर्ष हिंसक चलपति के मुठभेड़ में मारे जाने से हुई। इसके बाद, दंडकारण्य के सर्वोच्च हिंसक बसवराजू के ढेर होने से पूरा संगठन हिल गया। इसके पश्चात पोलित ब्यूरो सदस्य भूपति और केंद्रीय समिति सदस्य रूपेश का 261 माओवादियों के साथ आत्मसमर्पण ने माओवादियों को बड़ा झटका दिया।

