25 माह से थाने में जमे उझानी इंस्पेक्टर का है विवादों से नाता
बदायूं। उझानी में तैनात इंस्पेक्टर को थाने में तैनात हुए 25 महीने से अधिक हो चुके हैं।जिले के थानाें में चार-चार इंस्पेक्टर बदल गए,लेकिन अधिकारियों ने उनको हटाने की जहमत नहीं उठाई।इस दौरान वह कई विवादों में भी रहे हैं।कोर्ट की अवहेलना करना उनकी आदत में शुमार है।एक साल से गवाही देने कोर्ट में न जाने पर बरेली कोर्ट में चार घंटे कटघरे में भी रहे थे।
इसके पीछे आखिर ऐसा क्या राज है।कि अधिकारी उनको थाने से हटाने का नाम नहीं ले रहे हैं।चार दिन पहले ही एसएसपी ने जिले सभी थानों से तीन साल से जमे 120 सिपाहियों को इधर से उधर कर दिया था, लेकिन इंस्पेक्टर 25 माह से एक ही थाने में है। कोर्ट के आदेश पर मालखाने से रुपये बदलने के मामले में रिपोर्ट दर्ज होने के बाद भी उन्हें हटाया नहीं गया।ऐसे में मुकदमा की विवेचना प्रभावित होने की भी आशंका वादी ने जताई है।
उझानी क्षेत्र के गांव बरायमय खेड़ा में राजपाल के घर नौ अक्टूबर 2023 को सांप का जोड़ा निकला था। राजपाल ने उसे लाठी से पीटकर मार डाला था। इस मामले में पशु प्रेमी विकेंद्र शर्मा ने राजपाल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मामले की विवेचना कोतवाली में तैनात रहे दरोगा मुकेश त्यागी ने की थी। राजपाल के साथ ही चार्जशीट में जसपाल नाम के व्यक्ति को आरोपी बना दिया गया,जबकि जसपाल की मौत आठ साल पहले 2015 में हो चुकी थी। इस मामले में भी उझानी पुलिस की जमकर फजीहत हुई थी।
इसी के साथ 10 जुलाई को एक साल से दुष्कर्म के मामले में गवाही के लिए अदालत में न पहुंचने के मामले में प्रभारी निरीक्षक उझानी को बरेली कोर्ट में तलब किया जा चुका है। जज रवि कुमार दिवाकर की अदालत में पेश होने के बाद न्यायाधीश ने उन्हें कटघरे में खड़े होने के आदेश दिए थे। प्रभारी निरीक्षक को चार घंटे तक कटघरे में खड़े रहने के बाद उन्हें माफ किया गया था। इसके बाद उनके बयान दर्ज हो सके थे। कोर्ट के कई मामलों में उनको तलब किया जा चुका है। इसके बाद भी 25 महीने से वह उझानी कोतवाली के प्रभारी बने हुए हैं।
बदले गए नोट ही जांच में खोल सकते हैं राज:-पूर्व डीजीसी साधना शर्मा हत्याकांड में आरोपी से बरामद नोटों की अदला-बदली को लेकर उझानी कोतवाली पुलिस की भूमिका की जांच काफी अहम साबित होने वाली है। जानकार बताते हैं कि कोर्ट में पुलिस की ओर से प्रस्तुत जिस बंडल में बदले नोट निकले, वह असलियत सामने ला सकते हैं। नोटों पर उनका प्रिटिंग वर्ष लिखा होता है।
बदले हुए नोटों पर लिखे वर्ष को देख विवेचक इस बात का भी पता लगा सकते हैं कि किस वर्ष वह प्रचलन में आए थे। उसके बाद ही उन्हें बंडल में रखा गया होगा। बतौर उदाहरण- नोट अगर वर्ष- 2020 में छपा है तो विवेचक उसके बाद से कोतवाली में तैनात प्रभारी निरीक्षक और हेड मोहर्रिर की भूमिका को संदेह के दायरे में ला सकता है। इससे पहले कब और कौन तैनात रहा, उसे तो क्लीनचिट मिलना स्वभाविक है।
विवेचक चाहे तो आरबीआई से उस वर्ष के नोट के नंबर के आधार पर महीना का पता कर सकता है। बता दें कि पूर्व डीजीसी हत्याकांड में नोटों की अदला-बदली के आरोप की जांच बरेली के एसपीआरए ने की थी। तब उझानी कोतवाली पुलिस ने बरामदगी के दिन से कोर्ट में नोटों का बंडल की पेशी तक 12 प्रभारी निरीक्षक और पांच हेड मोहर्रिर के नाम की सूची तैयार कर एसपीआए बरेली को भेजी थी।
पूरे मामले की जांच कराई जा रही है।किसने नोटों की बदली की,जांच के बाद ही पता चल सकेगा। जांच पूरी होने के बाद कार्रवाई की जाएगी।-डॉ. बृजेश कुमार सिंह, एसएसपी
रिपोर्ट – जयकिशन सैनी (समर इंडिया)