आपराधउत्तर प्रदेश

चूहे को नाले में डुबोकर मारने वाला आरोपी युवक पुलिस हिरासत में, पशु क्रूरता अधिनियम के तहत आरोपी पर होगी कार्यवाई

एसी कार से बरेली के पशु चिक्तिसालय में पोस्टमॉर्टम हेतु भेजा गया चूहे का शव,

चूहे को नाले में डुबोकर मारने वाला आरोपी युवक पुलिस हिरासत में, पशु क्रूरता अधिनियम के तहत आरोपी पर होगी कार्यवाई

एसी कार से बरेली के पशु चिक्तिसालय में पोस्टमॉर्टम हेतु भेजा गया चूहे का शव,

जयकिशन सैनी (समर इंडिया)

बदायूं। एक युवक ने चूहे को पानी में डुबोकर मार डाला। इसकी शिकायत पशु प्रेमी विकेंद्र सिंह ने पुलिस से की, जिसके बाद पशु क्रूरता अधिनियम के तहत आरोपी युवक को हिरासत में लिया गया। लेकिन अब पुलिस चूहे के शव का पोस्टमॉर्टम कराएगी। इसके लिए चूहे के शव को एसी गाड़ी में बदायूं से बरेली के भारतीय पशु चिकित्सालय अनुसंधान केंद्र (आईवीआरआई) ले जाया गया है। इसका किराया 1500 रुपए लगा। आईवीआरआई में पोस्टमॉर्टम के लिए 225 रुपए की रसीद भी काटी गई।

आरोपी चूहे की पूंछ को पत्थर से बांधकर नाले में फेंका:- मामला सदर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला पनवड़िया का है। विकेंद्र सिंह के मुताबिक, आरोपी मनोज चूहे की पूंछ पत्थर से बांधकर उसे नाले में डूबा रहा था। मनोज को ऐसा करने से रोका, तो उसने चूहे को नाले में फेंक दिया। फिर उसे धागे के सहारे बाहर खींचा और फिर से नाले में फेंका। वह ऐसा कई बार करता रहा, जिससे चूहा मर गया।

बदायूं पशु चिकित्सालय में नहीं थी पोस्टमॉर्टम की व्यवस्था:- विकेंद्र ने बताया, ‘मामला पशु क्रूरता अधिनियम से जुड़ा था। ऐसे में चूहे का पोस्टमॉर्टम होना जरूरी था। मैं चूहे को लेकर बदायूं पशु चिकित्सालय गया, लेकिन वहां चूहे के पोस्टमॉर्टम की व्यवस्था नहीं थी। इसके चलते अस्पताल प्रशासन ने चूहे का पोस्टमॉर्टम बरेली आईवीआरआई में कराने के लिए रेफर कर दिया।

1500 रुपए में बुक की कार, 225 रुपए की सरकारी रसीद कटी:- विकेंद्र ने बताया, ‘चूहे का शव बरेली ले जाने के लिए पुलिस तैयार तो हो गई, लेकिन वहां तक शव पहुंचाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली। ऐसे में मैंने अपनी जेब से 1500 रुपए में कार बुक की और एसी चलाकर चूहे को वहां तक पहुंचाया, ताकि उसकी बॉडी डी-कंपोज न होने पाए। आईवीआरआई में पोस्टमॉर्टम के लिए 225 रुपए की रसीद भी मैंने ही कटवाई।

पशुओं के साथ क्रूरता न करना नागरिकों का मूल कर्तव्य:- हमारे संविधान में हर नागरिक के लिए अधिकारों के साथ कुछ मूल कर्तव्य भी बताए गए हैं। इन्हीं कर्तव्यों में से एक है पशुओं के साथ पशुता ना करना। संविधान के अनुच्छेद 51(A) के तहत हर जीवित प्राणी के प्रति सहानुभूति रखना भारत के हर नागरिक का मूल कर्तव्य है। भारतीय वन संरक्षण अधिनियम 1971 के मुताबिक पशुओं का शिकार करना, उनसे करतब कराना या देखना, उनकी निर्मम हत्या करना जघन्य अपराधों की श्रेणी में आते हैं। ऐसा करने के आरोपी को 3 साल की जेल और 10 हजार का आर्थिक दंड देने का प्रावधान है। साथ ही, भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और 429 के तहत अगर किसी व्यक्ति ने जानवर को जहर दिया या किसी अन्य तरीके से हत्या की, कष्ट दिया तो उसे दो साल तक की सजा हो सकती है। इसके साथ ही आर्थिक जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

 

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