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TMU MORADABAD: नफ़रतें दिल में मत पनपने दो,प्यार थोड़ा दिलों में रहने दो

नफ़रतें दिल में मत पनपने दो,प्यार थोड़ा दिलों में रहने दो

“नफ़रतें दिल में मत पनपने दो,प्यार थोड़ा दिलों में रहने दो”

**जैमिनी साहित्य फाउंडेशन की ओर से स्मृतिशेष डॉ विश्व अवतार जैमिनी की जयंती पर कवि सम्मेलन)

**टीएमयू अस्पताल के निदेशक विपिन जैन, प्रख्यात चिकित्सक डॉ राकेश कुमार और रंगकर्मी राजेश रस्तोगी को डॉ जैमिनी स्मृति सम्मान

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मुरादाबाद । समर इंडिया

जैमिनी साहित्य फाउंडेशन की ओर से साहित्यकार एवं शिक्षाविद स्मृतिशेष डॉ विश्व अवतार जैमिनी की जयंती पर भावपूर्ण काव्यांजलि कार्यक्रम का आयोजन मानसरोवर पैराडाइज में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ राकेश चक्र ने की तथा संचालन फाउंडेशन के सचिव डॉ मनोज रस्तोगी ने किया । मुख्य अभ्यागत आरएसएस के विभाग संघ चालक ओम प्रकाश शास्त्री, डॉ राकेश कुमार एवं समाज सेवी दीपक बाबू रहे। इस अवसर पर तीर्थंकर महावीर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के निदेशक विपिन जैन, प्रख्यात चिकित्सक डॉ राकेश कुमार और प्रख्यात रंगकर्मी राजेश रस्तोगी को डॉ जैमिनी स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया।

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कवि सम्मेलन का शुभारंभ डॉ पूनम बंसल द्वारा प्रस्तुत मां सरस्वती वंदना से हुआ।फ़ाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ काव्य सौरभ जैमिनी ने कहा नवोदित रचनाकारों के लिए डॉ विश्व अवतार जैमिनी शोधपीठ की स्थापना शीघ्र की जाएगी। महाराजा हरिश्चंद्र महाविद्यालय के प्रोफ़ेसर डॉ सुधीर अरोरा ने डॉ विश्व अवतार जैमिनी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा 4 जनवरी 1940 को संभल के प्रतिष्ठित वैश्य परिवार में जन्में डॉ जैमिनी ने काव्य और गद्य दोनों में ही समान रूप से साहित्य रचा। “संस्कृत दर्पण”, हिन्दी भाषा प्रदीप’ , ‘साहित्यानुशीलन’,बिंदु बिंदु सिंधु तथा काव्य कृति मैं पद्यप उनकी उल्लेखनीय कृतियां हैं । डॉ प्रियंका गुप्ता ने डॉ जैमिनी की रचना का पाठ किया।

कवि सम्मेलन में प्रख्यात बाल साहित्यकार डॉ राकेश चक्र का कहना था …. जिसकी मिट्टी में फले-फूले सदा खाया रिजक।नाज उस पर हर किसी को यार होना चाहिए। वरिष्ठ साहित्यकार ओंकार सिंह ‘ओंकार’ ने कहा…नफ़रतों की आग से बस्ती बचाने के लिए , प्यार की बरसात से ज्वाला शमन करते चलें। बिजनौर से आए युवा कवि दुष्यंत बाबा ने बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ के संदर्भ में रचना प्रस्तुत करते हुए कहा… मत रोको पापा मुझको मैं तो बाहर जाऊंगी, रंग भरूँगी सपनों में, मैं तो कलम चलाऊंगी

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वरिष्ठ साहित्यकार श्रीकृष्ण शुक्ल का कहना था ..नफ़रतें दिल में मत पनपने दो,/प्यार थोड़ा दिलों में रहने दो,/न करो बंद दिल के दरवाजे,/एक खिड़की तो खुली रहने दो I वरिष्ठ कवयित्री डॉ प्रेमवती उपाध्याय का गीत था … कुटिल कंटकों में मुसकाते, सुरभित सुमन सुहाने हैं। चहुँदिशि फैले कीर्ति पताका, गीत राष्ट्र के गाने हैं।

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मनोज रस्तोगी ने रूस यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में कहा … उड़ रही गंध ताजे खून की, बरसा रहा जहर मानसून भी, घुटता है दम बारूदी झोंको के बीच । चर्चित नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने कहा…ठिठुरन, कुहरे ने धरा, जबसे क्रोधित रूप रिश्तों में अपनत्व-सी, नहीं दिख रही धूप । फक्कड़ मुरादाबादी ने हास्य रस की फुआर छोड़ते हुए कहा … शादी के पश्चात मित्रवर जब अपनी ससुराल पधारे, पूछन लगे वहां किसी से मनोरंजन का साधन प्यारे, सुनकर उनकी बात गांव का एक युवा मुस्का कर बोला जो साधन था मनोरंजन का चला गया वह साथ तुम्हारे ।

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अशोक विद्रोही ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा …. दिव्य से वटवृक्ष की जैसे/घनी शीतल हो छाया ! /चिलचिलाती धूप में व्याकुल/ पथिक जहाँ चैन पाया! /घोर काली रात में ज्यों/ ज्ञान का दीपक जलाये!

डॉ पूनम बंसल ने कहा …कुहरे के चलते विरोध में,दिनकर ने हड़ताल करी/सूरज दादा को समझाकर, धूप ज़रा सी ले आएं। साहित्यपीडिया की संस्थापक डॉ अर्चना गुप्ता ने कहा….पार्थ विकट हालात बहुत हैं, मगर सामना करना होगा/धनुष उठाकर तुमको अपना, अब अपनों से लड़ना होगा

प्रो. ममता सिंह ने ग़ज़ल प्रस्तुत करते हुए कहा …बाद मुद्दत के कहीं ऐसे ज़माने आये। उनकी ग़ज़लों में  मेरे फिर से  फ़साने आये।

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रश्मि प्रभाकर का कहना था …कड़वे मीठे अनुभव का कुछ स्वाद बनाये रखिये/ कैसी भी हो परिस्थिति संवाद बनाये रखिये। राजीव ‘प्रखर’ का मुक्तक था …शब्द पिरोने का यह सपना, इन नैनों में पलने दो।मैं राही हूॅं लेखन-पथ का, मुझे इसी पर चलने दो।

ज़िया ज़मीर ने ग़ज़ल प्रस्तुत की…ज़रा सी बात पे आंखों के धागे खुल गए हैं/ज़रा सी देर में ख़ाली ख़जाना हो गया है। मनोज ‘मनु’ ने कहा… सिर पर, छांव पिता की, कच्ची दीवारों पर छप्पर/आंधी- बारिश, खुद पर झेले, हवा थपेड़े रोके ,जर्जर तन भी ढाल बने कितने मौके-बेमौके , रहते समय जान नहीं पाते, क्यों हम सब ये अक्सर। प्रत्यक्ष देव त्यागी ने कहा …कुछ लोग मेरे अपने थे, कुछ लोग मेरे सपने थे। आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ ने मुक्तक प्रस्तुत किया ।

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आयोजन में आर एस एस के विभाग प्रचार प्रमुख पवन जैन, विवेक गोयल, गौरव गुप्ता, संजीव आकांक्षी, डॉ विनोद पांडेय, राकेश जैसवाल, पंकज दर्पण, तृप्ति रस्तोगी, शिखा रस्तोगी, अमर सक्सेना, डॉ नरेंद्र सिंह, देवेंद्र शर्मा, राजीव अग्रवाल , मुहम्मद अय्यूब आदि उपस्थित रहे। आभार फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ काव्य सौरभ जैमिनी ने व्यक्त किया।

इससे पूर्व एम एच कालेज में डॉ जैमिनी को भावांजलि दी गयी। वरिष्ठ चित्रकार डॉ नरेंद्र सिंह के निर्देशन में कलाकारों ने डॉ जैमिनी की लाइव पेंटिंग बनायी। उधर द्रोपदी रतन इंटर कालेज, मुरादाबाद में जैमिनी जयंती समारोह पूर्वक मनायी गयी।

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प्रधानाचार्य अर्जुन सिंह ने डॉक्टर विश्व अवतार जैमिनी के जीवन को अनुकरणीय बताते हुए उन्हें अजातशत्रु की संज्ञा दी। प्रबंधक डॉ काव्य सौरभ जैमिनी ने इस अवसर पर पाँच निर्धन बालिकाओं को छात्रवृति प्रदान की। विजय वीर सिंह, माया सक्सेना, कल्पना, सरोज गुप्ता, अंजू, कमलेश, कृष्णा आदि प्रमुख रूप से रहे।

AMAN KUMAR SIDDHU

Aman Kumar Siddhu (Editor in chief)Samar India Media Group From Uttar Pradesh. Can be Reached at samarindia22@gmail.com.

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